पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 34.pdf/२०८

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१३९. पत्र : एस० रामनाथन्‌को

कुमार पार्क,बंगलोर

१३ जुलाई ,१९२७

प्रिय रामनाथन

शेरमहादेवी गुरुकुलवाले श्री महादेव अय्यर यहीं हैं। मुझे मालूम नहीं था कि आपका इस गुरुकुलसे कोई सरोकार है । लेकिन श्री महादेव अय्यरने मुझे बताया है। कि आप इसमें बहुत दिलचस्पी रखते हैं । जब वी० वी० एस० अय्यर जीवित थे, उस समय अलग-अलग जातियोंके लोगोंके साथ बैठकर खानेके सवालपर जो वाद-विवाद चल रहा था उसके बारेमें उन्होंने मुझसे बातचीत की थी और मुझे लिखा भी था । महादेव अय्यरने श्री अय्यरकी मृत्युके बाद जो घटनाएँ हुई, उनको संक्षेपमें मुझे बताया । अब यदि आप मुझे यह बतायें कि आपका इस गुरुकुलके साथ क्या सम्बन्ध है और वह पक्ष जो महादेव अय्यरके कथनानुसार उनके अथवा गुरुकुलके विरुद्ध है, अब क्या चाहता है तो बड़ी कृपा होगी ।

आशा है, आपका बुखार उतर गया होगा ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत एस० रामनाथन

इरोड

अंग्रेजी (एस० एन० १२९३० ) की माइक्रोफिल्मसे ।

१४०. पत्र : मोतीलाल नेहरूको

कुमार पार्क,बंगलोर

१३ जुलाई ,१९२७

प्रिय मोतीलालजी,

यह रहा 'कॉमरेड' सकलातवालाका उनकी विशेष शैलीमें लिखा एक पत्र । उन्होंने डाककी मुहर लगे पत्रकी जो अनुप्रति भेजी है, उससे तो मुझे लगता है कि नैतिक दृष्टिसे उनके दावेको बहुत बल मिलता है । मुझे और कुछ कहनेकी जरूरत नहीं; क्योंकि मैं जानता हूँ वे चाहे जैसी भी भाषाका प्रयोग करें, उनका दावा जिस हद- तक उचित है, उस हदतक उसे स्वीकार करानेकी कोशिश आप करेंगे ही।

मुझे जवाहरलालका एक और पत्र मिला है। उसमें कोई नई बात नहीं है ।

हृदयसे आपका,

पण्डित मोतीलाल नेहरू

आनन्द भवन, इलाहाबाद

अंग्रेजी (एस० एन० १४१८३ ) की फोटो - नकलसे