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भाषण : तुमकुर नगरपालिका द्वारा दिये गये मानपत्रके उत्तरमें

जाना चाहिए। जबतक हृदय परिवर्तन नहीं होता तबतक कोई भी विशेष कानून जातियों और समुदायोंके बीच सच्ची और जीवन्त एकता स्थापित नहीं कर सकता। और जब हृदय परिवर्तन हो जाये तब तो ऐसे कानूनकी आवश्यकता ही नहीं रह जायेगी । और जो बात हिन्दू-मुस्लिम एकतापर लागू होती है, वह दलित वर्गके लोगोंपर और अधिक लागू होती है। जबतक तथाकथित उच्चवर्गीय हिन्दुओंका हृदय स्वच्छ नहीं हो जाता और वे दलित वर्गके साथ न्याय करनेको तत्पर नहीं हो जाते तबतक किसी भी संरक्षणात्मक कानूनसे उन्हें कोई लाभ नहीं होगा। और जब उनका हृदय स्वच्छ- पवित्र हो जायेगा तब फिर ऐसे किसी कानूनकी आवश्यकता ही नहीं रह जायेगी । इस समय भी कानूनन उन्हें सार्वजनिक स्कूलों और सार्वजनिक कुओंके उपयोगका अधि- कार प्राप्त है, लेकिन तथाकथित उच्चवर्गीय हिन्दू उन्हें उनका उपयोग नहीं करने देते । इसलिए, मेरी ही तरह इस क्षेत्रमें सुधार करनेके काममें जो लोग लगे हुए हैं उन्हें मेरा सुझाव यह है कि वे स्वयं दलित वर्गकी स्थितिमें सुधार करनेकी ओर अपना ध्यान केन्द्रित करें। इसका उपाय यह है कि उनके लिए वे स्कूल खोलें, कुए खुदवायें, मन्दिर बनवायें और सुधारक लोग स्वयं भी उन स्कूलों, कुओं और मन्दिरोंके बजाय, जिनका उपयोग दलित वर्गोंको न करने दिया जाये, इन्हीं स्कूलों, कुओं और मन्दिरों- का उपयोग करें ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, १४-७-१९२७

१४८. भाषण : तुमकुर नगरपालिका द्वारा दिये गये मानपत्रके उत्तर में[१]

१४ जुलाई, १९२७

भाइयो,

मैं इस मानपत्रके लिए आपको धन्यवाद देता हूँ, लेकिन कितना अच्छा होता, यदि आपने यह मानपत्र मुझे अंग्रेजी में न दिया होता। मैं अपने सामने कितने ही मुस- लमान और हिन्दू भाइयों तथा बहनोंको बैठे देख रहा हूँ और यदि आपने अपनी मातृ- भाषा अथवा राष्ट्रभाषा हिन्दीका प्रयोग किया होता तो ये लोग उसे अच्छी तरह सुनते और समझते तथा मुझे भी उस मानपत्रको प्राप्त करके प्रसन्नता होती । मैं आशा करता हूँ कि आप इस बातको समझें कि इन लोगोंको, आम जनताको, ही इस सबके महत्त्वको समझनेकी जरूरत है। उन्हें इसके महत्त्वको समझना चाहिए और परस्पर एक-दूसरेको समझना चाहिए। वे परस्पर भाई-भाई हैं तथा हमारी मातृभूमिकी दो आँखें हैं। उन्हें समझानेके लिए हमें उस भाषाका प्रयोग करना चाहिए जिसे वे समझते हैं ।

  1. गांधीजीके हिन्दी भाषणका कन्नड़ अनुवाद गंगाधरराव देशपांडेने किया था ।