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भाषण : तुमकुर नगरपालिका द्वारा दिये गये मानपत्रके उत्तरमें

हर जगह कितनी कठिनाई होती है । हमारे देशमें कितने बच्चे हैं और क्या हम कह सकते हैं कि हमारे पास उन सब बच्चोंको देनेके लिए गायका अच्छा दूध पर्याप्त मात्रामें उपलब्ध है ? हमारे अपने हितमें, हमारे देशके हितमें, मैं उनसे अनुरोध करना चाहता हूँ कि वे मांस खानेकी आदत न बनायें ।

आपने अपने मानपत्र में बताया है कि आपके यहाँ बिजली और पानीकी व्यवस्था होनेवाली है।

मैं आपको इसके लिए बधाई तो देता हूँ, लेकिन आपको साफ बता दूं कि मैंने आपसे अपेक्षा की थी कि आप मुझे अन्य विषयोंके बारेमें आश्वासन देंगे। क्या आप मुझे यह आश्वासन दे सकते हैं कि इस शहरके बच्चोंको सस्ता और शुद्ध दूध काफी मात्रामें मिलेगा ? आपने मुझे यह नहीं बताया कि आप गोवध-निषेध कानूनको छोड़कर इस सम्बन्धमें जो कुछ किया जा सकता था, वह आप कर चुके हैं या नहीं । आपने मुझे यह बताया कि आपके शहरकी आबादी १५,००० है, लेकिन आप यह बताना तो भूल ही गये कि आपके मवेशियोंकी संख्या कितनी है ? हमारे देशमें एक समय ऐसा भी था जब लोगोंके धन और सम्पदाको अमुक परिवार में कितने बच्चे हैं और उनके पास कितने मवेशी हैं, इसके अनुसार आँका जा सकता था । मैं आपसे सच कहता हूँ कि आप जल- योजना पर जो तीन लाख रुपया खर्च करने जा रहे हैं, उससे बहुत कम पैसे में अथवा बिजलीपर लगाये जानेवाले ५०,००० रुपयेसे भी कम लागत में आप यहाँ एक आदर्श दुग्धशाला खोल सकते हैं । आप इससे बहुत ही कम पैसेमें एक दुग्धशाला खोल सकते हैं, जिससे लोगोंको पानीके समान, दूध भी आसानीसे मिल सके। क्या आपने अपने पंचम भाइयोंको गो-मांस और मद्यका त्याग करनेके लिए समझाया है ? आपने स्वास्थ्य और सफाईके बारेमें क्या किया है ? मैंने पश्चिमकी तरह-तरहकी बुराइयोंकी ओर इंगित किया है, लेकिन उनकी स्वास्थ्य और सफाई सम्बन्धी व्यवस्था हमारे लिए पदार्थपाठ प्रस्तुत करती है। मेरे लिए लोगोंके स्वास्थ्य-सफाई सम्बन्धी ज्ञानकी कसौटी उनके पाखानोंकी स्थिति है, और मुझे बताया गया है कि यहाँके पाखानोंकी स्थिति घिनौनी है। हममें से जो लोग कट्टरतम परम्परावादी और अत्यन्त शिक्षित तथा विद्वान् हैं, वे भी सफाई सम्बन्धी नियमोंका उल्लंघन करनेमें संकोच नहीं करते, हालाँकि सभी धर्म-ग्रन्थोंमें कहा गया है कि स्वास्थ्य अथवा सफाईके किसी भी नियमका उल्लंघन करना पाप है । मेरा आपसे अनुरोध है कि आप इस प्रश्नपर गम्भीरतासे विचार करें और आदर्श भंगी बननेका प्रयत्न करें। जबतक आप अपने हाथोंमें झाड़ और टोकरी नहीं लेते, आप अपने शहरों और नगरोंको स्वच्छ नहीं बना सकते ।[१]

क्या आप जानते हैं कि इन बातों में पश्चिमके नगरोंने कितनी प्रगति की है ? यदि आप चाहते हैं कि आपके नागरिक स्वच्छ और स्वस्थ जीवन व्यतीत करें तो आपको पश्चिमका अनुकरण करना चाहिए और अपने शहरको साफ रखना चाहिए । मैं इतने शहरोंमें गया हूँ, लेकिन इस सम्बन्धमें किसी भी शहरसे सन्तुष्ट नहीं हूँ । आपको स्वच्छता और सफाईकी आदत डालनी चाहिए और यदि आप रोग और

  1. यह अनुच्छेद ४-८-१९२७ के यंग इंडिया में प्रकाशित महादेव देसाईके 'साप्ताहिक पत्र' से लिया गया है ।