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भाषण : मद्दागिरिमें

यहीं करें और आप सब मिलकर करें। क्योंकि, भाइयो, याद रखिए, चाहे खादीका कार्य हो अथवा गो-रक्षाका, उसे कोई एक व्यक्ति पूरा नहीं कर सकता । और यह भी याद रखें कि अपने मवेशियोंकी रक्षामें आपके देशकी आर्थिक समृद्धि निहित है । गाय देशकी माता है और यदि आप 'माँ' शब्दके मर्मको अच्छी तरहसे जानते हैं, तो आप भारतकी प्रगति और कल्याणके लिए गो-रक्षाके महत्त्वको महसूस करेंगे। मैं आपकी कृपाके लिए एक बार फिर आपको धन्यवाद देता हूँ ।

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, १८-७-१९२७

१५०. भाषण : मद्दागिरिमें[१]

१५ जुलाई, १९२७

भाइयो,

इस गरीब देशकी सेवाके लिए आपने मुझे एक थैली और मानपत्र भेंट किया है, जिसके लिए मैं आप सबको धन्यवाद देता हूँ । आप जानते हैं कि गरीबोंकी सेवाका काम बहुत बड़ा है; गरीबोंकी संख्या - दरिद्रनारायणका आकार विशाल है, उनका उदर सबसे बड़ा है । दरिद्रनारायण गाँवोंमें बनी झोपड़ियोंमें रहनेवाले तुच्छतम और दरिद्रतम लोगोंके दिलों और सांसोंमें निवास करते हैं । वे शहरोंसे बहुत दूर, गाँवोंके अज्ञात कोनोंमें रहते हैं; उन्हें एक जून भी पेट भर भोजन नहीं मिलता, लेकिन आप लोग उन्हींके पैसेसे, उन्हींके श्रम और उन्हींकी कमाईसे शहरों और नगरोंका निर्माण कर रहे हैं। आपको बाहरसे, विदेशी व्यापारसे धन नहीं मिलता, आप तो अपने व्यापारके द्वारा केवल उसे बाहर ही भेजते हैं। क्या आप जानते हैं कि कपासका कितना व्यापार होता है और यहाँ कितनी कपास पैदा होती है ? उदाहरणके लिए, मिस्र में इसकी कितनी कीमत है और यहाँ कितनी ? किसीने कहा है कि जो देश अपना कच्चा माल विदेशोंको भेजता है वह कभी भी प्रगति नहीं कर सकता । फिर भी, इस भयं- कर गरीबीको दूर करनेका एक रास्ता है, और वह है खादी कार्य । तो आप अपनी रुई बाहर न भेजें । आप उसे कातें व बुनें और पहनें। मैं जानता हूँ कि आपने इसी उद्देश्यके लिए मुझे यह थैली दी है, लेकिन आप ज्यादा दे सकते थे । अगर मेरी तबीयत ठीक होती तो मैं इसी क्षण चरखा लेकर आपके बीच घूमना शुरू कर देता और आपसे अनुरोध करता कि आप हमेशा मेरे साथ चरखा चलाते रहिए। आप- में से कुछ लोगोंने, बहुत-से लोगोंने आज खादी पहनी है। आपने गरीब बुनकरोंको कुछ पैसे दिये हैं, इसके लिए में आपका आभारी हूँ, लेकिन मैं आपसे पूछता हूँ कि क्या आप इसे हमेशा पहनेंगे ? अगर नहीं तो आपका मुझे यह थैली भेंट करना किसी कामका नहीं है । अगर आपको गरीबोंकी मदद करनी है, अगर आप, चाहे जिस जाति अथवा

  1. गांधीजी हिन्दी में बोले थे ।