पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 34.pdf/२२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१९२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

धर्मके हों, अपने धर्मका पालन करना चाहते हैं, यदि आप यह सोचते और आशा करते हैं कि आपकी मातृभूमि फले-फूले, यदि आप ईश्वरका ध्यान करते हैं तो खादी पहनना आपका कर्त्तव्य है, आपका धर्म है । क्या आप उस धर्मका पालन करेंगे ?

तुमकुरमें कल जो सभाएँ हुईं, उनमें मैंने अपने पंचम भाइयोंसे अनुरोध किया था कि वे गोमांस अथवा किसी तरहका भी मांस न खायें। आज यहाँ मैं अपने पंचम भाइयोंसे इसके सम्बन्धमें कुछ विशेष नहीं कहूँगा । बस इतना ही कहूँगा कि गोमांस न खायें, शराब न पियें, पाप और रोग-विहीन शुद्ध एवं पवित्र जीवन व्यतीत करें। मुझे खुशी है कि आपके यहाँ लोकमान्य तिलकके नामसे एक भवन है । मैं आशा करता हूँ कि आप भारतके उस सपूतके जीवनका स्मरण करेंगे और उनके सिद्धान्तोंके अनुसार आचरण करेंगे। भाइयों, मैं आप सबको धन्यवाद देता हूँ।

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, १८-७-१९२७

१५१. भाषण : तुमकुरकी सार्वजनिक सभामें[१]

कुमार पार्क,बंगलोर

१६ जुलाई ,१९२७

भाइयो,

आपने मुझे थैलियाँ और मानपत्र भेंटमें दिये हैं। इनके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। मेरे यहाँ आकर बैठनेसे पहले ही श्री हमजा हुसैनने मुझसे कहा था कि मैं आपके सामने अंग्रेजीमें बोलूं। मैं यह बात माननेवाला नहीं हूँ । यहाँ ऐसे बहुत से लोग हैं, जिनसे अगर में अंग्रेजीमें बात करूँ तो उनके लिए वह अपमानजनक होगा। आप लोगोंमें से कितने हैं, जिन्होंने अपने घरकी स्त्रियोंको अंग्रेजी सिखाई है ? या यह कि आप देखना चाहते हैं कि मैं अंग्रेजी जानता भी हूँ या नहीं ? (हँसी ) अगर ऐसी बात है तो मैं आपको बताता हूँ कि मैं इसकी फीस लूंगा और आपको मेरा इम्तहान लेनेकी काफी बड़ी फीस देनी पड़ेगी। आप कह सकते हैं कि मुझे जो थैलियाँ दी गई हैं, वे फीस ही तो हैं। जी, नहीं । मैं जानता हूँ कि आपने मुझे थैलियाँ इसलिए दी हैं. कि आप देशके गरीबोंकी मदद खाने-पीनेकी चीजोंकी शक्ल में नहीं, बल्कि खादीके कामकी शक्ल में करना चाहते हैं । आप शायद नहीं जानते कि देशमें कितने ज्यादा गरीब लोग हैं। क्या आपको मालूम है कि इस देशके दरिद्रनारायणका पेट कितना बड़ा है ? आप जितना भी देंगे, उनके लिए पूरा नहीं पड़ेगा। आप दरिद्रनारायणको शायद न जानते हों। वे आपके शहरों और कस्बोंसे दूर, बहुत दूर गाँवोंमें रहते हैं, जहाँ आप उन्हें देख नहीं पाते। आप उन्हें पहचानते नहीं हैं, क्योंकि आपमें से इतने सारे लोग, इतनी सारी महिलाएँ विदेशी वस्त्र पहनकर आई हैं। क्या आपको मालूम है कि मैन- चेस्टरका बना वस्त्र खरीदने में खर्च किया गया हर रुपया हमारे देशका दारिद्र्य

  1. गांधीजीने हिन्दीमें भाषण किया था ।