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भाषण : तुमकुरकी सार्वजनिक सभामें

बढ़ाता है ? आपके देशके गाँवों और झोपड़ियोंमें जब गरीब लोग भूखे मर रहे हैं, तब क्या यह उचित है कि आप अपना रुपया-पैसा दूर मैनचेस्टरको भेजें ? मैं चाहता हूँ आज आप इस मामलेपर अच्छी तरहसे गौर करें और मैं चाहता हूँ कि आप इसे अपने दिलों में गहराईसे महसूस करें। अगर आप सचमुच महसूस करते हैं कि हमारे देशमें कितनी भयंकर गरीबी है तो मैं चाहता हूँ कि उससे आप यही नतीजा निकालें कि आपको विदेशी वस्त्र पहनना छोड़ देना चाहिए। आप आज अपने मनमें इस बातका पक्का निश्चय कर लें कि आप खादी पहनकर तथा खादीके काममें, गरीबोंके इस काममें, मदद देकर देशकी गरीबीको दूर करने में अपना शक्ति-भर योग देंगे। मुझे खुशी होती है आपको यह बतलाने में कि इस कामके लिए मैंने जब मददके लिए हाथ फैलाया था तो बंगलोरके महिला सेवा समाजकी महिलाओंने अपने जेवर - जवाहरात मेरी झोलीमें डाल दिये थे । वे जानती थीं कि उनका सबसे सच्चा जेवर उनका दिल ही है और शरीरको सजानेवाले जेवरात सच्चे नहीं हैं ।

भाषण समाप्त करनेसे पहले में आपसे एक बात और कहना चाहता हूँ | मैं आप सबका बड़ा अहसान मानता हूँ, खासकर तुमकुरकी स्वागत समितिका, जिसने मेरे यहाँ ठहरनेके लिए सारी सुविधायें की हैं । इतने अच्छे इन्तजामके लिए मैं एक बार फिर आपको धन्यवाद देता हूँ । यहाँके हाई स्कूल के हेडमास्टरने मुझे बतलाया है कि उन्होंने गरीब बच्चोंकी मदद के लिए एक कोष शुरू किया है और उसको वे मेरे नामपर गांधी- कोष नाम देना चाहते हैं। भाइयो, आप जानते हैं कि मैं स्वयं बड़ा गरीब आदमी हूँ, इसलिए देशके सभी गरीबोंसे मेरी एक रिश्तेदारी है। मुझसे अगर बन पड़ता तो कमसे कम एक पाई तो मैं इस कोषमें जरूर दे देता, लेकिन मेरे पास अपनी तो एक पाई भी नहीं है । मैं जो भी खाता-पीता या पहनता हूँ वह सब आपका ही है, और बहुत अरसा हुआ मेरी आमदनी तो बन्द हो चुकी है। इसलिए मेरे पास इसमें देनेके लिए एक पाई भी नहीं है । पर मैं जानता हूँ कि आप सभी लोग इस कोषमें कुछ-न-कुछ दे सकते हैं। हमारे देश में बेशुमार गरीब विद्यार्थी हैं। उन सबको आपकी मददकी दरकार है। मुझे उम्मीद है कि आप सब लोग कमसे कम अपने शहरके गरीब विद्यार्थियोंकी मदद करेंगे और इस कोषको उपयोगी बनायेंगे। उसकी एक पाई भी मनोरंजन या दूसरे किसी कामपर खर्च मत कीजिए । कोषको उसी कामपर खर्च कीजिए, जिसके लिए इसे शुरू किया गया है। मैं आपको एक बार फिर धन्यवाद देकर आपसे बिदा लेता हूँ ।

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, १८-७-१९२७

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