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१५८. भाषण : बंगलोर नगरपालिका के मानपत्रके उत्तरमें[१]

१७ जुलाई,१९२७


भाइयो,

आपने अपनी नगरपालिका परिषद्की ओरसे मुझे मानपत्र भेंट किया, इसके लिए आपको धन्यवाद । मैं इस बात के लिए माफी चाहता हूँ कि मैं इतनी ऊँची आवाज में नहीं बोल सकता कि आप सब भाई सुन सकें । आपने मानपत्रमें बतलाया है कि आप नगरपालिका परिषद्के सदस्योंकी हैसियतसे क्या कर रहे हैं। आपके कामसे मुझे बड़ी खुशी हुई और उसके लिए मैं आपको बधाई देता हूँ। अपने नगरमें तरुणोंके लिए अनिवार्य शिक्षा चालू करनेके लिए आप धन्यवाद के पात्र हैं। और आपने इस सुन्दर नगर में चौड़ी-चौड़ी सड़कों और बिजलीका जो इन्तजाम किया है, उसके लिए मुझे आपको बधाई देनी पड़ेगी । आपने इस मानपत्र में जो विवरण दिया है, उससे मुझे लगता है कि आपकी नगरपालिकाका काम ठीक पटरीपर चल रहा है, और आपने जो कुछ हासिल किया है, उससे सभी लोगोंको सन्तोष होगा । मैं आपको बता दूं कि स्वराज्यका सच्चा बीज नगरपालिकाके काम में ही है और में चाहता हूँ कि आप इस बात को समझें ।

मैं कुछ दिनोंसे आपके साथ रह रहा हूँ; पर स्वास्थ्य खराब होनेसे मैं चूंकि बाहर आ जा नहीं सकता था, इसलिए आपकी नगरपालिकाका काम, खास तौरसे सार्व- जनिक सफाई वगैरहके सम्बन्ध में किया जानेवाला काम खुद जाकर अपनी आँखोंसे नहीं देख पाया । लेकिन मैं समझता हूँ कि वह आम तौरपर अच्छा ही है । मुझे बतलाया गया है कि आपके यहाँके उच्च और मध्यम वर्गके लोग स्वस्थ हैं। यदि यह बात सही है, तो मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहूँगा । क्या आपके नगरमें गरीब लोग भी हैं ? अगर हाँ, तो क्या आपने नगरपालिकाके सदस्योंकी हैसियत से उनके मकानोंको साफ-सुथरा और सेहतमन्द बनाये रखनेके लिए काम किया है ? क्या आप उनके जीवन में दिलचस्पी लेते हैं, क्या आप इसकी फिक्र करते हैं कि वे किस तरह रहते हैं और अपने मकानोंको किस हालतमें रखते हैं ? आपने अपने मानपत्रमें यह नहीं बतलाया कि आपके नगरमें मेहतरोंकी क्या दशा है, न ही आपने यह बतलाया कि आप नगरमें बच्चों, बड़ों और बीमारोंके लिए अच्छा दूध सुलभ करनेके लिए क्या करते हैं। आपके नगरमें अनेक दुकानदार और व्यापारी हैं जो आपको कर अदा करते हैं। क्या आपने उनके बारेमें कोई पूछ-ताछ की है ? क्या वे गाँवोंसे आनेवाले गरीब खरीदारोंको अच्छा आटा और राशन देते हैं? आपके बाजारोंमें दूर-दूरके गाँवोंसे चीजें आती हैं और आप उनकी मनमाने ढंगसे खरीद करते हैं पर क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि वे दूर-दूरके गाँवोंमें अपने घरोंमें किस तरह की

  1. गांधीजीने हिन्दीमें भाषण दिया था ।