पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 34.pdf/२३६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२००
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जिन्दगी बसर करते हैं? आपके इस मानपत्रसे मुझे इसका पता नहीं लगता कि नगरमें कितने लोग आदतन शराबी हैं और कितने लम्पट हैं और आपने नगरको उन लोगोंसे दूषित होनेसे बचाने के लिए क्या किया है ? मैं यह भी जानना चाहूँगा कि आपके नगरमें गायों और मवेशियोंकी क्या दशा है और आपने इस दिशा में क्या काम किया है ? क्या आप इन सवालोंके जवाब दे सकते हैं; यदि हाँ, तो मैं आपके साथ और ज्यादा बातें कर सकता हूँ। और यदि नहीं, तो मैं चाहता हूँ, मेरा अनुरोध है कि आप इन सब सवालोंपर गौर करें और नगरपालिकाके अपने काममें इनका हमेशा खयाल रखें ।

आपकी नगरपालिकाने चरखेको स्थान दिया है। इसके लिए मैं सचमुच आपका बड़ा शुक्रगुजार हूँ । मुझे लगता है कि आप गरीबोंका खयाल रखते हैं। मुझे पूरा यकीन है कि आपका यह काम जाहिर करता है कि आपने महसूस कर लिया है कि देशको और ज्यादा गरीबी से बचाने, अपने नगरके गरीब भाई-बहिनोंकी मदद करनेका एकमात्र उपाय चरखेको अपनाना ही है। इसके लिए मैं सचमुच आपका बड़ा ही आभार मानता हूँ । मुझे इस बात से भी खुशी हुई कि आप नगरपालिकाके कर्मचारियोंको खादी दे रहे हैं । आज यहाँ इकट्ठे हुए आप लोगों में से अनेक समझते हैं कि मदद करनेका बस एक ही तरीका है - खादी खरीदना । गरीबोंका कुछ ध्यान रखिए। वे जो वस्त्र आपके लिए बुनते हैं उसे खरीदिए और उनको भरोसा दिलाइए कि आप खादी खरीदते रहेंगे और उनको अपना मेहनताना मिलता रहेगा । मैं ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि मुझे स्वास्थ्य प्रदान करनेवाले इस नगरको वह दिन-दिन अधिक समृद्ध बनाये। आप सबने मुझे अपना प्रेम दिया है, मैं इसके लिए आपको धन्यवाद देता हूँ । ईश्वर आपका और आपकी नगरपालिकाका भविष्य उज्ज्वल करे ।

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, १८-७-१९२७

१५९. भाषण : बंगलोरके मजदूरोंकी सभा में[१]

१७ जुलाई ,१९२७

भाइयो,

आपने मुझे राष्ट्रभाषा हिन्दी, मैसूरकी मातृभाषा कन्नड़ और तमिल भाषा में भी मानपत्र दिये हैं। अपने देशके गरीबोंकी सेवाके लिए आपने मुझे एक थैली भी भेंट की है। इस सबके लिए में आपका हृदयसे आभार मानता हूँ । गरीबोंकी सेवाके लिए आपने जो भेंट दी है, उसपर मुझे कोई आश्चर्य नहीं है, क्योंकि में खुद पिछले पैंतीस वर्षोंसे मजदूर रहा हूँ । जब दक्षिण आफ्रिका गया था, तभीसे में

  1. महाराजा मिल्सके मल्लेश्वरम् मजदूर संघके मजदूरोंकी सभा में उनके मानपत्रमें रोग-शय्यापर पड़े एक मजदूरको बर्खास्तगी, राज्यमें मजदूरोंकी दयनीय स्थिति, सरकारकी उपेक्षा और मजदूर आन्दोलनके प्रति जनताकी आम उदासीनता का उल्लेख था । गांधीजीके हिन्दी भाषणका कन्नद अनुवाद गंगाधरराव देशपाण्डेने किया था।