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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ताश और जुआ खेलते हैं। अगर आप अपनी दशा सुधारना चाहते हैं, अगर आप मनुष्यके रूपमें अपने पैरों खड़े होना चाहते हैं, तो आपको यह सब नहीं करना चाहिए। आपने मुझे यह थैली दी है, इसीलिए न कि आप जानते हैं कि देशमें करोड़ों लोग आपसे भी ज्यादा गरीबी में दिन काट रहे हैं, आपसे भी ज्यादा क्षुधार्त हैं । आपको समझना चाहिए कि आपको इन गरीबोंकी मदद करनी ही है । आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि आप अपनी मिलोंमें जो कपड़ा तैयार करते हैं वह आपके या आपकी जनताके लिए नहीं, बल्कि व्यापारके लिए है । वह आपके मालिकोंके मुनाफेके लिए है, वह आपके देशके गाँवोंमें बसनेवाले गरीब लोगोंको मदद देनेके लिए, उन्हें रोटीका एक टुकड़ा भी दिलानेके लिए नहीं होता । आपको खादी पहननी चाहिए और इस तरह उन लोगोंकी मदद करनी चाहिए जो आपके लिए कपड़ा बुनते हैं। पहले आपको ही उनकी मदद करनी चाहिए, क्योंकि अमीर लोग आसानीसे मदद करने नहीं आते। आपको खादी खरीदकर और पहनकर उनकी मदद करनी चाहिए।

मैं जानता हूँ कि आजकल जो इतने सारे झगड़े खड़े होते रहते हैं, इनकी वजह यही है कि मिल-मालिक और साझेदार आपसमें अपनेको एक मानते हैं और मजदूरोंको अपने से अलग । यह समस्या उसी दिन हल होगी जब वे महसूस करने लगेंगे कि मजदूर भी उनके अपने हैं, उनके साथी हैं और मजदूरोंका हित ही उनका अपना हित है। इस बातका ज्ञान हो जानेपर मिलें फलने-फूलने लगेंगी, क्योंकि तब श्रम और पूँजीके हित एक-दूसरेसे अलग या भिन्न-भिन्न नहीं रहेंगे। एक दिन ऐसी भावना पैदा अवश्य होगी, क्योंकि यही धर्म है, धर्मका यही तकाजा है । लेकिन जबतक वह दिन नहीं आता, ऐसी भावना पैदा नहीं होती, तबतक आपका कर्त्तव्य है कि आप अपने उद्देश्यके लिए संघर्ष करते रहें; पर उसे एक धर्म मानकर चलें और सत्य तथा न्यायके मार्गसे कभी विचलित न हों। मैंने आज आपसे जो बातें कही हैं, उनपर आप खूब अच्छी तरह विचार करें। यह मत सोचिए कि अपनी दशा सुधारने या अपनी कोशिशोंको कामयाब बनानेका आपके सामने इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता भी है। धर्मके मार्गके अलावा, या न्यायशीलताके अलावा और कोई मार्ग है ही नहीं। इस बातको हमेशा याद रखिए । ईश्वर आपको अपने सभी प्रयासोंमें सामर्थ्य और सफलता दे ।

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, १८-७-१९२७