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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैसूर में हिन्दीके प्रचार-कार्यने बड़ी प्रगति की है, इसकी मुझे बहुत खुशी है । में उन प्रचारकों को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने ११ महीनेमें ७०० लोगोंको हिन्दी पढ़ाई है । श्री जमनाप्रसाद कहते हैं कि इस जैसे समारोहको 'कन वोकेशन' नहीं कहना चाहिए । उनको इस शब्दके प्रयोगसे डर सा लगता है । जहाँतक मेरा खयाल है, मुझे समझ नहीं पड़ता कि इसे 'कन वोकेशन' कहने में गलती क्या है । इस शब्दका सीधा सा मतलब है. -- एक जगह इकट्ठे होना और आपस में बातचीत करना । लेकिन हमारी शिक्षा-दीक्षाके अंग्रेजी के साथ जुड़ जानेके कारण ऐसे अवसरको एक बड़ा शानदार समारोह समझा जाने लगा है। अगर आप सब लोग आज हिन्दीका प्रचार करने, खुद हिन्दी सीखने और अपनी सहानुभूति प्रदर्शित करनेका संकल्प कर लें, तो यह बहुत बड़ी बात होगी और आजका दिन चिरस्मरणीय बन जायेगा ।

महात्माजीने अपना भाषण समाप्त करते हुए कहा :

आपसे मेरा अनुरोध है कि आप सब लोग रुपये-पैसे जुटाकर और प्रोत्साहन देकर हिन्दीके प्रचार में योग दें। आपको इसके लिए बाहरके चन्देका मोहताज नहीं बनना चाहिए। इसकी जरूरत भी नहीं है । इस कामके लिए एक-दो साल या इससे भी अधिक समयतक जितने पैसेकी जरूरत हो, उतना आपको इकट्ठा कर लेना चाहिए। मैं तो समझता हूँ कि इतना चन्दा इसी समारोह में उपस्थित लोगोंसे इकट्ठा किया जा सकता है । मैं यही कामना करता हूँ कि भविष्य में और और वह स्थायी भी ज्यादा प्रगति हो हो । प्रमाणपत्र पानेवाले सौभाग्यशाली व्यक्तियोंसे मेरा यही अनुरोध है कि वे हिन्दीका उपयोग देश सेवा के लिए ही करें। आपने मानपत्र देकर मेरा सम्मान किया और मुझे इस समारोह में शामिल होनेका मौका दिया है, इसके लिए में आप सबको धन्यवाद देता हूँ ।

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, २२-७-१९२७