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टिप्पणियाँ

अकेली यही बात हिन्दुओंकी ओरसे इस बातका साफ प्रमाण होगी कि हिन्दू दिलसे एकता चाहते हैं । और साधारण मुस्लिम समाजमें राष्ट्रीय विचारोंवाले मुसलमानों में डॉ० अन्सारीसे अधिक आवृत और कोई नहीं है । इसलिए मेरे खयालसे तो यह हर तरहसे वांछनीय है कि अगले सालके लिए डॉ० अन्सारी ही राष्ट्रीय कांग्रेसके कर्णधार हों । कारण यह है कि केवल किसी योजनाको मंजूर कर लेना ही हमारे लिए काफी नहीं है। दोनों पक्षों द्वारा उसे मंजूर करानेकी बनिस्बत उसे कार्य में परिणत करना शायद कहीं अधिक जरूरी है। और यदि हम मान लें कि दोनों पक्षोंको सन्तोष देनेवाली कोई योजना मंजूर हो जायेगी, तो उसपर अमल करते समय अविरत सावधानीकी आवश्यकता होगी। डॉ० अन्सारी इस काम के लिए सबसे अधिक योग्य व्यक्ति हैं। इसलिए मैं आशा करता हूँ कि राष्ट्रीय कांग्रेस किसी व्यक्तिको जो सर्वोच्च सम्मान प्रदान कर सकती है उसके योग्य पात्रके रूपमें सभी प्रान्त एकमतसे डॉ० अन्सारीके नामकी ही सिफारिश करेंगे ।

उदयपुर में खादी

कुछ अस हुआ, दैनिक पत्रोंमें यह खबर छपी थी कि बिजोलियाके खादी कार्य- कर्त्ता गिरफ्तार कर लिये गये हैं, और वहाँके खादी संगठनके व्यवस्थापकसे यह वचन माँगा गया है कि उनसे मिलनेके लिए जो भी आयेगा उसके बारेमें वे अधिकारियों- को सूचित करेंगे। इस खबर के मिलते ही श्रीयुत जमनालालजी सही परिस्थितिको जाननेके लिए उदयपुर पहुँचे । उदयपुरमें अधिकारियोंसे मिलकर बिजोलिया होते हुए जमनालालजी अखिल भारतीय चरखा संघकी परिषद्की बैठक में शामिल होने तथा दक्षिण भारतीय खादी-प्रदर्शनीके समय उपस्थित रहनेके लिए बंगलोर आये । बंगलोर में उन्होंने मुझे बताया कि बिजोलियामें दो खादी-कार्यकर्त्ता वास्तव में गिरफ्तार कर लिये गये थे। पर वे खादीका काम करनेके कारण नहीं बल्कि राज्यकी राजनीतिमें हस्तक्षेप करनेके सन्देहमें गिरफ्तार किये गये थे। अधिकारियोंने जमनालालजीको विश्वास दिलाया कि वे खादीके काम में कोई विघ्न डालना नहीं चाहते, बल्कि वे तो उलटे खादी - कार्यकर्त्ताओंका स्वागत करते हैं और कुछ निश्चित शर्तोंपर खादीके कामकी खासी सहायता भी करनेके लिए तैयार हैं। फिर जमनालालजी बिजोलियाके अधिकारियोंसे भी मिले। और अब यह तय हो गया है कि खादी-कार्यकर्त्ताओंसे कोई वचन नहीं लिया जायेगा, क्योंकि स्थानीय अधिकारियों और जमनालालजीके बीच यह तय हो गया है कि खादी-कार्यकर्त्ता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष, किसी भी तरहसे राज्यकी राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, वे अपनी प्रवृत्तियोंको खादीके उत्पादन और बिक्रीके लिए लोगोंको संगठित करनेतक ही सीमित रखेंगे। जमनालालजीको यह वचन देने में कोई आपत्ति नहीं हो सकती थी । इसका सीधा-सादा कारण यह है कि चरखा संघकी निश्चित और अपरिवर्तनीय रोति चली आई है कि देशी राज्योंमें वह अपने-आपको शुद्ध खादीके कामतक ही सीमित रखे ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २१-७-१९२७