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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

होता है ? और क्या यह भी सच नहीं है कि चूंकि नारियलसे प्राप्त होनेवाली चिक- नाईको हमारा शरीर पशुओंसे प्राप्त होनेवाली चिकनाई अर्थात् घीकी अपेक्षा कम ग्रहण कर पाता है, इसीलिए वह घीसे कम सुपाच्य भी होता है ? क्या आप बच्चोंके लिए गायका दूध पीनेके बजाय कच्चे नारियलका पानी पीना ज्यादा ठीक मानेंगे ?

हृदयसे आपका,

श्रीयुत के० पी० पद्मनाभ अय्यर

सब असिस्टेंट सर्जन

ए० ई० डिस्पेंसरी

पुडुकोट्टाई

बरास्ता तुतीकोरन

अंग्रेजी (एस० एन० १४१९३) की फोटो नकलसे ।

१८६. भाषण : आदि कर्नाटकोंके समक्ष

मैसूर

[२१ जुलाई, १९२७][१]

आपसे मिलकर मुझे खुशी भी हुई और दुःख भी । खुशी इस बातकी कि आपसे मिलकर मुझे अपने-आपको शुद्ध करनेका अवसर मिला और दुःख इस बातका कि स्वास्थ्य और कुछ अन्य कारणोंसे मुझे महलोंमें ठहरनेकी बात माननी पड़ी है, हालाँकि मैं खूब जानता हूँ कि आप कितनी बुरी स्थिति में रहते हैं। सत्य या ईश्वर, जिसमें मेरी निष्ठा है, मुझसे हर क्षण कहता रहता है कि मेरी जगह महलों में नहीं, आपके बीच ही है। वैसे हो सकता है कि इसकी जड़में एक क्षणिक उमंग ही हो, त्यागकी एक क्षणिक इच्छा मनमें पैदा हुई हो और यह उसीकी आवाज हो । हो सकता है कि यहाँ से जाते ही मैं आपको और आपकी झोंपड़ियोंको बिलकुल ही भूल जाऊँ । परन्तु यह भी सम्भव है कि ईश्वर मुझे किसी दिन उस कामको सम्पन्न करनेकी शक्ति दे दे, जिसे मैं इतना ज्यादा पसन्द करता हूँ। आज तो मैं आपको सिर्फ यह भरोसा दिलाने आया हूँ कि आपकी भलाईमें दिलचस्पी रखनेवाले और इसके लिए काम करनेवाले लोगोंकी तादाद दिन-दिन बढ़ती जा रही है। आपकी सेवामें अपने-आपको खपा देनेवाली ब्राह्मण महिला बधाईकी पात्र हैं । मेरा पक्का विश्वास है कि हिन्दू धर्म निकट भविष्यमें अस्पृश्यताके इस कलंकसे मुक्त हो जायेगा । ईश्वरकी नजर में न कोई ऊँचा है और न कोई नीचा, और अपने-आपको किसीसे ऊँचा या श्रेष्ठ समझनेवाले को शास्त्रोंने मूर्ख कहा है। लेकिन जहाँतक आपकी बात है, मुझे पूरा यकीन है कि आपकी मुक्ति आपके अपने ही हाथोंमें है । गो-रक्षा हिन्दुओं-

  1. २५-७-१९२७ के हिन्दूमें प्रकाशित विवरणसे ।