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१९०. भाषण : मैसूरमें विदाई समारोहके अवसरपर

२३ जुलाई, १९२७

महात्माजीने अपने भाषणके दौरान मैसूरके नागरिकोंको चन्दोंकी राशियोंके लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि आपके नगरके एक प्रमुख नागरिक, साहूकार डी० बनु- मैयाने पन्द्रह सौ एक रुपये दिये हैं और मैंने उनको वचन दिया है कि उनकी दी हुई राशि इसी राज्यके गरीबोंके कामपर खर्च की जायेगी । में और मेरे सहकर्मी चाहते हैं कि जहाँतक बन पड़े, मैसूरसे मिली हुई राशि मैसूर में ही खर्च की जाये । वैसे, आम तौरपर होता यह है कि जिन क्षेत्रोंमें गरीबोंकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं होती या जहाँ खादीका उत्पादन बढ़ाने के लिए कुछ भी करनेकी गुंजाइश नहीं होती, वहाँसे जमा की हुई राशि देशके उन क्षेत्रोंपर खर्च की जाती है जिनमें बहुत ज्यादा गरीबी हो और जो अपने-आप कोई बड़ी राशि जमा न कर सकते हों। उदाहरणके तौरपर उत्कलको लीजिए। उत्कल प्रान्तमें गरीबी बहुत ही ज्यादा है और इसलिए वे बिलकुल चन्दा जमा नहीं कर पाते। इस कारण देशके अन्य भागों में इकट्ठी की गई राशियाँ उत्कल प्रान्तके खादी-कार्यपर और इस तरह वहाँके गरीबोंको भोजन जुटानेपर खर्च करनी पड़ती हैं।

बम्बई और कच्छने बड़ी-बड़ी राशियाँ दी हैं, परन्तु बम्बईमें उसकी एक पाई भी खर्च नहीं की जा सकती। वहाँ जितनी भी राशि जमा की जाती है, सारीकी- सारी दूसरी जगहोंपर ही खर्च की जाती है। मैंने मारवाड़में अपने मारवाड़ी मित्रोंसे लाखों रुपये इकट्ठे किये, पर मारवाड़में उन्हें खर्च नहीं किया गया।

एक बात आपको ध्यान में रखनी चाहिए कि दक्षिण भारत और उत्तर भारत दोनों अलग-अलग नहीं हैं। इसी तरह दक्षिण भारतमें आन्ध्र, तमिलनाड और कर्नाटक अलग अलग नहीं हैं, आपको कभी ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि इनमें या दक्षिण और उत्तर भारतमें परस्पर कोई सम्बन्ध ही नहीं है । आप सभीको कर्नाटककी खुशहालीके लिए प्रयास करना चाहिए। वह सिर्फ कर्नाटककी ही खुशहाली नहीं होगी; बल्कि उससे सारा देश उन्नत और समृद्ध होगा ।

शहरमें इकट्ठी की गई राशियोंका और विशेषकर कृष्णराज सागर जाते हुए, रास्ते में तपेदिक आरोग्याश्रम के मरीजोंसे जो ५१ रुपये की राशि मिली थी, उसका उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने वहाँके मरीजोंको देखा और मेरे मनपर उनका बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा। पण्डित मालवीयजीके शब्दोंमें कहें तो वह शुद्ध हृदयसे दी गई 'शुद्ध कौड़ी' है । मैंने नहीं सोचा था कि वे कुछ देगें, और जब बिना माँगे ही ऐसा शुद्ध दान मिलता है तो दान लेनेवालोंपर एक भारी जिम्मेदारी आ जाती है । मुझे