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एक पत्र

कारण पूर्व जन्म और पूर्व जन्मके सम्बन्धोंके सिद्धान्तके आधारपर ही कुछ हदतक समझा जा सकता है।

हृदयसे आपका,

के० टी० चक्रवर्ती

चटगाँव

अंग्रेजी (एस० एन० १२६१५ ) की फोटो नकलसे ।

१९५. एक पत्र

कुमार पार्क,बंगलोर

२४ जुलाई, १९२७


प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला । जनरल डायरको लकवा लगनेकी खबर सुनकर सचमुच दुःख हुआ । मैं नहीं समझता कि उनके लकवेसे पीड़ित होनेका जलियाँवाला बागमें किये उनके कृत्य से कोई अनिवार्य सम्बन्ध है । क्या आपने इस प्रकारके अपने विश्वास- के लाजिमी नतीजोंपर विचार किया है ? हम जिनको बड़े ही भले और पवित्र व्यक्ति मानते हैं, वे भी तो आखिर गम्भीर बीमारियोंके शिकार बनते रहे हैं। मुझे ही देखिए । पेचिश, आन्त्रपुच्छ और इस बार मामूली लकवेसे मेरे पीड़ित होनेकी बात आपको मालूम ही होगी । और मुझे बड़ी पीड़ा होगी, यदि कोई भला अंग्रेज सोचने लगे कि मेरी इन बीमारियोंका कारण अंग्रेजी सरकारके प्रति मेरा उग्र विरोध ही है । उनको मेरा विरोध उग्र ही लगता होगा। हालांकि मेरा विश्वास है कि प्रत्येक रोग वर्तमान या पूर्वजन्ममें प्रकृति के किसी-न-किसी नियमके उल्लंघनका ही प्रत्यक्ष परिणाम होता है, पर हमारे पास ऐसे तथ्योंका अभाव है, जिनके आधारपर हम हर मामलेमें यह निश्चित कर सकें कि किस उल्लंघन के फलस्वरूप ये रोग हुए।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० १४१९४) की फोटो नकलसे ।