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२०५. पत्र : चेंगिया चेट्टीको[१]

कुमार पार्क,बंगलोर
२६ जुलाई, १९२७

प्रिय मित्र,

श्रीयुत राजगोपालाचारीने मुझे आपका पत्र दिखाया । खादी - कोषकी व्यवस्थाके सम्बन्धमें आपने मुझे जो चेतावनी दी है, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ । मैं नहीं जानता कि खिलाफत कोषका क्या हुआ। मुझे तो सिर्फ इतना ही मालूम है कि जिस बैंक में यह रकम रखी गई थी उसका दिवाला निकल गया। लेकिन में आपको बता दूं कि खिलाफत कोषकी व्यवस्थामें मेरा कभी कोई हाथ नहीं था । खादी- कोषके लिए अवश्य उत्तरदायी हूँ । अखिल भारतीय चरखा संघकी एक परिषद् है; सारी निधियोंको रखने और उनकी व्यवस्था करनेका काम उसीके सुपुर्द है । सेठ जमनालाल बजाज, जो एक पुराने और प्रतिष्ठित व्यापारी हैं तथा कई व्यापारिक प्रतिष्ठानोंके निदेशक हैं, इस संघके कोषाध्यक्ष हैं । बम्बई बैंकके स्वर्गीय घेलाभाई बैंकर- के सुपुत्र श्री शंकरलाल बैंकर इसके मन्त्री हैं। पैसा अच्छी साखवाले जाने-माने बैंकों में रखा जाता है । समुचित ढंगसे हिसाब-किताब रखे जाते हैं और अधिकृत लेखापाल (चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट) समय-समयपर उनकी जाँच करते हैं । अधीनस्थ संगठनोंके हिसाब- किताबकी जाँच करनेके लिए निरीक्षक नियुक्त किये गये हैं । कोषके संरक्षण और उसके उचित वितरणके लिए जो कुछ सम्भव हो सकता है, सब किया जा रहा है।

साथमें अखिल भारतीय चरखा संघकी ओरसे प्रकाशित रिपोर्ट भेज रहा हूँ । उसमें आप लेखापाल द्वारा जाँचा हिसाब-किताब भी देखेंगे। रिपोर्टको पढ़नेके बाद अथवा उससे पहले भी यदि आप रकमकी सुरक्षाके लिए कोई सुझाव देना चाहें तो मैं उसका स्वागत करूँगा ।

अब महिला समाज में महिलाओंसे अपने आभूषण दे देनेके मेरे अनुरोध[२] तथा इन आभूषणोंको 'स्त्री-धन' कहने के बारेमें। इनके सम्बन्धमें मेरे विचार बहुत निश्चित और दृढ़ हैं। मैं जबसे भारत में हूँ तबसे, बल्कि जब दक्षिण आफ्रिकामें था तभीसे भार- तीय तथा यूरोपीय बहनों को भी अपने आभूषणोंका परित्याग कर देनेके लिए निस्संकोच भावसे प्रेरित करता आया हूँ । मुझे याद है, बहुत पहले, १९०६ में ही स्वर्गीय सुरेन्द्र- नाथ बनर्जीने भी लाहौर में महिलाओंसे अपने-अपने गहने देशकी खातिर दे देनेका अनु- रोध किया था, और मुझे यह भी याद है कि महिलाओंने उनपर गहनोंकी बौछार कर

  1. यह पत्र गांधीजीने चेंगिया चेट्टीके २१ जुलाईके पत्रके उत्तरमें लिखा था। उसमें चेंगिया चेट्टीने गांधीजीसे पूछा था: “ खादी-कोषको व्यवस्था करनेके लिए क्या कोई कमेटी नियुक्त की गई है ?” उन्होंने गांधीजीके स्त्रीधन-सम्बन्धी विचारोंकी भी आलोचना की थी।
  2. देखिए “भाषण : महिला-समाज, बंगलोर में”, १३-७-१९२७ ।