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पत्र : चैंगिया चेट्टीको

दी थी । मैं नहीं समझता में ऐसा अनुरोध करके कोई अनुचित काम कर रहा हूँ । सचमुच आप पहले व्यक्ति हैं जिसने इस विषय में आपत्ति की है। वस्तुतः मेरे अनेक सम्पन्न मित्र मेरे अनुरोधसे खुश हुए हैं, और जब में तिलक स्वराज्य-कोषके लिए ऐसा अनुरोध कर रहा था, तब उनमें से कुछ लोग मुझे अपने घर ले गये थे और उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं उनके घरकी स्त्रियोंसे अपने आभूषण देनेका अनुरोध करूँ, उसमें उनका मन्शा यह था कि उनके घरकी स्त्रियाँ कीमती हीरे-जवाहरात पहनने और इकट्ठा करनेका मोह छोड़ दें। अमीर लोगोंके घरोंमें सादगी लानेके अपने प्रयत्न में कुछ हदतक सफल होनेपर मुझे बहुधा सार्वजनिक रूपसे धन्यवाद दिया गया है । बह्नोंपर कभी भी अनुचित दबाव नहीं डाला गया है। जब भी किसीकी पत्नीने देशकी खातिर अपने गहनोंका दान किया है, तब मैं यही मानकर चला हूँ कि इसमें पतिका भी सहयोग है । जबतक छोटी लड़कियोंके अभिभावकों अथवा माता- पिताओंने अपनी स्वीकृति नहीं दी तबतक मैंने उनसे कभी कुछ स्वीकार नहीं किया है । फिर भी मैं यह मानता आया हूँ कि पतियोंका दम्भपूर्वक यह मान बैठना गलत है कि उनकी पत्नियाँ आभूषणोंका क्या करें, क्या नहीं करें, यह उनके अधिकारकी बात है । यही एक ऐसी चीज है जिसपर एकमात्र उन्हींका अधिकार है और मेरा खयाल है कि उन्हें अपने आभूषणों का चाहे जो करनेका सम्पूर्ण अधिकार होना चाहिए। लेकिन यह मेरा अपना निजी विचार है और इस मामलेमें व्यवहारमें जो कुछ हुआ है, उससे इसका कोई सम्बन्ध नहीं है ।

कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने उत्साहमें आकर विदेशी कपड़ोंका परित्याग तो कर दिया था और उनकी होली भी जलाने दी थी, लेकिन अब वे अपने कियेपर पछता रहे हैं। तो क्या आप यह समझते हैं कि उनके साथ मुझे भी पश्चात्ताप करना चाहिए कि मैंने उनसे वह कार्य करनेके लिए क्यों कहा जो उन्होंने उस निर्मल क्षणमें किया और जिसे करना उनका पुनीत कर्त्तव्य था ? यदि आप ऐसा समझते हैं तो मैं एक बार फिर नम्रतापूर्वक कहूँगा कि मैं आपसे सहमत नहीं हूँ। जब मैंने विदेशी वस्त्रोंको, जिनमें से कुछ काफी कीमती भी थे, जला डालनेका अनुरोध किया था, उस समय मुझे कोई पश्चात्ताप नहीं हुआ था, इतना ही नहीं जनताने उस अनुरोधको जिस उत्साहसे स्वीकार किया, उसके लिए भी मेरे मनमें कोई पछतावा नहीं है । ईश्वरने मुझे जिन अनेक पुनीत कार्यों में शामिल होनेका सौभाग्य प्रदान किया है, विदेशी वस्त्रोंकी होली जलानेके कार्यको में उन्हीं में से एक मानता हूँ ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत एम० चेंगिया चेट्टी

चामराजपेट

बंगलोर सिटी

अंग्रेजी (एस० एन० १२६१८ ) की माइक्रोफिल्म से ।