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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

समान ही सीधी-सादी है, जिसके द्वारा सॉल, पॉल बन गया था।[१] उसमें यह परिवर्तन पलक मारते ही आ गया था । इसी तरह हृदय परिवर्तन होते ही आप सच्चे सेवक बन जायेंगे। ईश्वर इस बात को समझने में आपकी सहायता करे ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, ११-८-१९२७

२१०. भाषण : बंगलोरकी पुराण-विद्या समितिमें

२६ जलाई, १९२७

भाइयो,

मैं नहीं जानता कि मेरी आवाज आप सबतक पहुँचती है या नहीं। मुझे दुःख है कि मैं ऊँचा नहीं बोल सकता । आपके मानपत्र, फूलमालाओं और मुझे इस शान्ति मन्दिर में लाने के लिए मैं आपको हृदयसे धन्यवाद देता हूँ । मुझे स्वीकार करना चाहिए कि मैं इस स्थानके लिए उपयुक्त व्यक्ति नहीं हूँ, क्योंकि एक लम्बे असे साहित्यसे मेरा कोई वैसा सम्बन्ध नहीं रहा है जैसे सम्बन्धकी यह समिति अपेक्षा करती है, और उसकी यह अपेक्षा ठीक भी है । ३५ सालके लम्बे अर्से से मुझे लगातार, जीवन के अपेक्षाकृत कम शान्तिपूर्ण क्षेत्रोंमें, कर्त्तव्य-रत रहना पड़ा है; फलस्वरूप मैं बहुत चाहते हुए भी साहित्यिक अध्ययनसे वंचित रहा हूँ । कुछ समय- तक जब मैं जेल में था, उसको छोड़कर मुझे साहित्य के अध्ययनका और कोई मौका नहीं मिला। मैंने आपकी पत्रिका देखी है और मैं आपको अपने कार्यके लिए बधाई देता हूँ । आपने बताया है कि आप लोग अनुसन्धान कार्यमें दिलचस्पी रखते हैं और मैं देखता हूँ कि आप इस कार्यको पूर्ण और सम्यक् ढंगसे करते रहे हैं।[२]

मेरा सुझाव है कि आपमें से कोई उस कारणकी खोज करे, जिससे यह देश अस्पृश्यता के अभिशापसे ग्रस्त हुआ । मेरी इच्छा है कि मैसूरके विद्वज्जन, जिनमें से कुछ अत्यन्त उच्च कोटिके विद्वान् हैं, यह बतानेके लिए शास्त्रोंसे प्रमाण ढूंढ निकाले कि अस्पृश्यता हिन्दू धर्मका अंग नहीं हो सकती, और यह सिद्ध करें कि हमारे आदि पुरुष, जिनसे हमें वेदोंकी प्रेरणापूर्ण थाती मिली और जिन्होंने हमें उपनिषदोंकी बहु- मूल्य विरासत दी, अस्पृश्यता में विश्वास नहीं करते थे- मैं भी नहीं करता - तथा अस्पृश्यता हिन्दू धर्मके लिए एक ऐसा विजातीय तत्त्व है जो उसके स्वरूपको बिगाड़ता है । मैं आपसे सच कहता हूँ, यदि आप ऐसा कर सकें तो आपने देशकी पहले जितनी सेवाएँ की हैं, यह कार्य उनसे किसी भी तरह कम न होगा । मेरे जैसे कार्यकर्त्ता अपने ही ज्ञान और विवेकके आधारपर कहते हैं कि अस्पृश्यता हिन्दू धर्मका अंग नहीं

  1. सॉल प्रारम्भमें ईसामसीह का विरोधी था, किन्तु बादमें हृदय परिवर्तन होनेपर वही उनका प्रसिद्ध शिष्य पॉल बन गया । न्यू टेस्टामेंट, अध्याय ९ ।
  2. यह अनुच्छेद २७-७-१९२७ के हिन्दूसे लिया गया है।