पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 34.pdf/३०५

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२१८. पत्र : एस० रामनाथन्‌को

कुमार पार्क,बंगलोर

२७ जुलाई, १९२७

प्रिय रामनाथन्,

आपके दोनों पत्र मिले। मुझे उम्मीद है, अब आप पूरी तरह चंगे हो गये होंगे ।

में जबसे मैसूरसे वापस आया हूँ, तबसे श्री महादेव अय्यर लगभग रोज मुझसे मिलने आते हैं और मैं भी रोज चन्द मिनट उनको देता हूँ । यदि मुझे कुछ खास कहने लायक लगा तो मैं आपको फिर पत्र लिखूंगा ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत एस० रामनाथन

अ० भा० च० सं०

इरोड

अंग्रेजी (एस० एन० १२९३३) की माइक्रोफिल्म से ।

२१९. पत्र : नरगिस कैप्टेनको

कुमार पार्क,बंगलोर

२७ जुलाई, १९२७

मैं जानता हूँ कि तुमने मुझे इतने दिनोंसे पत्र क्यों नहीं लिखा है। लेकिन फिर भी मुझे तो तुम्हें लिखना ही पड़ेगा । जमनाबहन और मीटूबहन दोनोंको लिखे तुम्हारे पत्र मैंने देखे। मेरी मीठूबहन के साथ काफी लम्बी बातचीत हुई, और मैं देखता हूँ कि वैसे तो वे अत्यन्त स्नेही महिला हैं और उनमें कार्य व सेवा कार्यकी अत्यधिक क्षमता है, लेकिन साथ ही वे बहुत क्रोधी और शंकालु स्वभावकी हैं। यशवन्तप्रसाद के प्रति उनके मनमें एक शंका घर कर गई है, जिसे मैं सर्वथा निराधार मानता हूँ । उसे वे अपना पक्का दुश्मन मानने लगी हैं। इससे जमनाबहनका उनके साथ काम करना लगभग असम्भव हो गया है। इसलिए कुल मिलाकर मुझे यही लगता है कि यदि उन्हें नफीस खादी के विकास के लिए अपनी इच्छानुसार काम करनेके लिए अकेले छोड़ दिया जाये तो अच्छा हो । इस काम में उन्होंने खास महारत हासिल कर ली है, और अपना सारा समय वे इसमें लगाती हैं। आखिरकार उनका हिसाब-किताब इस अर्थ में बिलकुल ठीक है कि उसमें एक-एक पैसेकी आमदनी और खर्चका ठीक- ठीक लेखा-जोखा दिया गया है। हाँ, हिसाब-किताब प्रचलित नियमके अनुसार नहीं