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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

रखा गया है। लेकिन मेरे खयालसे अब वैसे रखा जा रहा है । हिसाब-किताबकी नियमित रूपसे जाँच भी की जा सकती है । और जबतक वे ऐसा करती हैं, कोई कारण नहीं कि उनके कार्यको स्त्री-सभा की एक स्वतन्त्र शाखाकी तरह क्यों न माना जाये । फिर भी उन्हें जब तुम्हारी सेवाओंकी जरूरत पड़े, उसके लिए तुम सब अपने-आपको तैयार रख सकती हो । 'तुम सब' इसलिए कह रहा हूँ कि मीठूबहनको जबतक जरूरत न पड़े तबतक उन्हें किसीका हस्तक्षेप पसन्द नहीं आता। उनके इस रवैयेसे मुझे सहानुभूति है, क्योंकि अत्यन्त शंकालु स्वभावकी होनेके कारण, जिसका कि उन्हें कोई एहसास नहीं है, वे यदि शान्तिसे काम करना चाहती हैं तो अन्य कोई रवैया अपना ही नहीं सकतीं। मैंने उन्हें यह समझानेका प्रयत्न किया कि यशवन्तप्रसादका कोई अपना स्वार्थ नहीं है और उन्हें आपके कामसे सिर्फ इसलिए दिलचस्पी है कि जमनाबहन इस काममें लगी हुई हैं और सभी बहनें उनकी मदद लेना पसन्द करती हैं । लेकिन में उनकी शंकाको दूर नहीं कर सका। इसके विपरीत, उन्होंने अपनी शंकाको फिर दुहराया और कहा कि समय आनेपर मेरी ही तरह आपकी आँखें भी खुल जायेंगी और आप यशवन्तप्रसादके कपटी स्वभावको पहचान जायेंगे। उनका यह रवैया वैसे तो बड़े दुःखका विषय है, लेकिन हमें तो जैसी भी स्थिति है, उसीमें से जो-कुछ अधिकसे-अधिक मिल सकता है, उसे पाना है। दुर्भाग्य से इससे पहले भारतकी महिलाओंने कभी संगठित रूपसे काम नहीं किया है। इसलिए उन्हें इस तरह काम करनेमें अभी थोड़ा समय लगेगा। सच तो यह है कि भारतके पुरुष भी अनेक सफल संगठनोंको नहीं चला पा रहे हैं । उनमें भी आपसी झगड़े और शंका-सन्देह बने ही रहते हैं। इस मामलेमें में तुमपर जरूरत से ज्यादा बोझ नहीं लादना चाहता। लेकिन यदि तुम मीठूबहन और अन्य लोगोंको बुला भेजो, और चूँकि वे सब तुम्हें अपना आला कमाण्डर मानती हैं, इसलिए यदि तुम उनके कान खींचो और उन्हें एक साथ मिल-जुलकर काम करनेके लिए राजी कर सको तो यह बहुत अच्छा होगा ।

मैं देखता हूँ कि घर जानेके बादसे तुम्हारा स्वास्थ्य बहुत ठीक नहीं रहा है। लेकिन तुम्हें असलमें खूब स्वस्थ रहना चाहिए। जबतक तुम कश्मीर नहीं जातीं, मुझे सन्तोष नहीं होगा। हालांकि मैंने कश्मीर देखा नहीं है, लेकिन मैंने उसके बारेमें काफी सुना है। बहुत सम्भव है कि कश्मीरकी सेहतमन्द हवा तुम्हें माफिक पड़े ।

मुझे पत्र अवश्य लिखना और अपने स्वास्थ्य के बारेमें बताना । कितना अच्छा होता, यदि तुम यहाँ आ सकतीं। मौसम सचमुच बहुत अच्छा है और हमारे लिए तो यहाँ काफी ठण्डक है, लेकिन हो सकता है तुम्हारे लिए वैसा न हो ।

नरगिस कैप्टेन
कोमरा हॉल
पंचगनी

अंग्रेजी (एस० एन० १४१९९ ) की फोटो-नकलसे।