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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इसके लिए जिस वचनपत्र (प्रोनोट) की जरूरत है, वह तो आपको बेशक शीघ्राति- शीघ्र भेज देना चाहिए. • प्रस्ताव में आप कोई परिवर्तन करवाना चाहते हों तब भी ।

परिषद्पर महाराष्ट्र के प्रति पूरी तत्परता न दिखानेका आरोप मेरे खयालसे ठीक नहीं है । यह सच है कि आपको परेशानी उठानी पड़ रही है, और शायद ऐसी परेशानीकी ही वजहसे कार्यकर्त्ता भावुक हो उठते हैं और परिषद् से ऐसी अपेक्षा करने लग जाते हैं जिसे वह वास्तवमें पूरी नहीं कर सकती । लेकिन अगर आप परेशानियोंके कारण अपने सिद्धान्तोंके प्रति अपनी आस्थामें कमी नहीं आने देते तो ऐसी परेशानियाँ आपको सेवाके लिए और भी अधिक योग्य बनायेंगी ।

आपने लोकमान्यके संस्मरण लिखनेकी बात कही है। ऐसा कहकर तो आप मुझपर अतिरिक्त बोझ डाल रहे हैं, जब कि अभी मुझमें बहुत कम शक्ति है और उसे मैं अपने वर्तमान कार्य में लगाना चाहता हूँ। और फिर मैं चाहे कुछ भी लिखूँ, लोकमान्य अथवा उनके जीवन-कार्य के प्रति मेरे दृष्टिकोणके सम्बन्धमें लोगोंके मनमें जो धारणा बन गई है, वह उससे नहीं बदल सकती। वह तो तभी बदल सकती है जबकि मेरा आचरण सदा सही रहे और आचरणके सही अथवा गलत होनेका निर्णय तो मेरी मृत्युके बाद ही हो सकता है। इसलिए यदि मैं कुछ लिखता भी हूँ तो निश्चय ही मुझे वह उस सुफलकी आशासे नहीं लिखना चाहिए जिसका प्रलोभन आपने दिया है।

बेकारीके सम्बन्धमें मैं नहीं जानता, यहाँसे बैठे-बैठे मैं क्या कर सकता हूँ। मैं तो सिर्फ यही कह सकता हूँ कि आपको सभी सम्भावित नाम तकनीकी विभागको भेज देने चाहिए । व्यक्तिगत रूपसे मैं समझता हूँ कि प्रत्येक इच्छुक व्यक्तिको खादी-कार्य में जगह दी जा सकती है । लेकिन मैं सभी साथी कार्यकर्त्ताओंमें ऐसा विश्वास पैदा नहीं कर सकता। और इसलिए, जहाँतक ऐसे व्यावहारिक कार्यका सम्बन्ध है, अच्छा यही होगा कि आप फिलहाल मुझे निर्जीव ही समझ लीजिए। यदि मैं फिर जी उठूं और व्यावहारिक कार्यमें कूद पडूं तो आप निस्सन्देह मेरे पास आयें। लेकिन फिलहाल तो आपको श्री बैंकरके पास ही जाना होगा। आप एक नीति निर्धारित कर लीजिए और फिर देखिए कि बहुत-से लोगोंको जगह दी जा सकती है अथवा नहीं। सिर्फ इस कारणसे कि अब आप मुझपर भरोसा नहीं कर सकते, आप बेकार किन्तु सक्षम व्यक्तियोंकी समस्या के समाधानकी ओरसे निराश न हों और न उनके लिए काम करना छोड़ें ।

अब मिल मालिकोंके साथ सहयोग के बारेमें। दरअसल उनके साथ हमें नहीं, बल्कि हमारे साथ उन लोगोंको सहयोग करना है । अतएव, इस समय हमारा सहयोग खादीको सस्ता करने, उसे और ज्यादा मजबूत बनाने तथा मिल मालिकोंको सरकारसे जितनी मिल सके, उतनी सहायता दिलाने में ही निहित है ।

मेरी सारी बातें साफ तो हो गईं हैं न? मैं अन्नपूर्णाबाईके व्रतको ध्यान में रखूंगा । आप कृपया श्री बैंकरको पत्र लिखकर उनसे कहें कि वे आपकी भेजी पॉलिसीकी प्राप्तिकी सूचना आपको विधिवत् भेज दें ।