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कि वहाँ मुझे अपने प्राचीन ऋषियोंके आश्रमोंका-सा सादा और पवित्र परिवेश देखनेको मिलेगा। मुझे दुःखके साथ कहना पड़ता है कि आपने मेरी आशा पूरी नहीं की, और इसलिए अब में शिक्षकों और माता-पिताओंसे अनुरोध करता हूँ कि वे बच्चोंको हमारी प्राचीन संस्कृतिका सच्चा प्रतिनिधि बनायें ।

[ अंग्रेजी से ]
यंग इंडिया, १८-८-१९२७

२३६. प्रकृतिका 'कोप'

प्रकृति कभी कोप नहीं करती। उसके नियम अच्छी घड़ीकी भाँति अचूक काम करते हैं । उनमें संशोधन परिवर्द्धन नहीं होता । उसने न तो अपने लिए इसका अधिकार रखा है और न उसे इसकी आवश्यकता ही है। प्रकृति सम्पूर्ण है इसीसे उसका विधान भी सम्पूर्ण है ।

लेकिन हम उसके विधानको नहीं जानते, इसीसे जब वह अकल्पित काम करती है तब उसे हम प्रकृति के कोपके नामसे पुकारते हैं। गुजरातपर ऐसा ही कोप इस समय प्रकृतिने किया है। बंगलोर में बैठे हुए मैं इस छोटे-मोटे प्रलयकी[१] कल्पना कैसे कर सकता हूँ । इस प्राकृतिक कोपके विस्तारको जाननेके मेरे साधन तो वल्लभभाई द्वारा भेजा गया तार, आश्रमसे प्राप्त एक तार तथा समाचारपत्रों में प्रकाशित खबरें ही हैं।

यह हमारे पापका दण्ड या कोई ऐसी क्रिया है जिससे हमें, अगर हम विशेष शर्तोंको पूरा करें तो, आवश्यक लाभ मिल सकता है, यह तो ईश्वर ही जाने । हमारे लिए उचित यही है कि उसे हम अपने पापोंका फल मानें। नैतिक पाप और आर्थिक पापमें बड़ा भेद नहीं है। इतना ही नहीं, अपितु दोनोंमें निकटका सम्बन्ध है । झूठ बोलना, नदीके पानीको मैला करना और खेत में गेहूँके बजाय अफीम अथवा तम्बाकूकी फसल बोना, इन तीनों पापोंमें प्रमाणका भेद है, नीतिका नहीं । ऐसी बात नहीं है कि झूठ बोलनेवालेकी आत्माका हनन होता है और पानी गन्दा करनेवालेकी आत्मा का हनन नहीं होता अथवा अफीमकी फसल बोनेवाले व्यक्तिकी आत्मा सुखी होती है । जैसे-जैसे हमारा ज्ञान शुद्ध होता जाता है वैसे-वैसे हमें अपने पाप ज्यादा स्पष्ट होते जाते हैं ।

लेकिन जबतक पापोंके हमारे इस ज्ञानमें वृद्धि न हो तबतक हम पालथी लगाकर बैठे रहें और अपनी आँखोंसे जो नुकसान हुआ देखें उसके निवारणका कोई उपाय न करें तो हम मूर्ख कहलायेंगे ।

वल्लभभाईने प्रान्तीय कमेटीकी[२] ओरसे एक कोष खोला है। मणिलाल कोठारी[३] उसमें पैसा जुटानेके कार्य में रत हो गये हैं और उन्हें परोपकारी धनिकोंने ३०,००० रुपये

  1. गुजरात में जुलाई, १९२७ में आई भयंकर बादकी ओर संकेत है ।
  2. गुजरात प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी ।
  3. सौराष्टके कांग्रेसी कार्यकर्ता जिन्होंने गुजरात प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीके मन्त्रीकी हैसियतसे अनेक वर्षों तक काम किया ।