पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 34.pdf/३३४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२९८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कर देंगे। मैं अभी मैसूरका ही दौरा कर रहा हूँ । इस महीने के अन्ततक तो बंगलोरसे अपना डेरा स्थायी तौरपर नहीं ही उखाड़ेंगा । लेकिन यदि कार्यक्रममें कोई परिवर्तन हुआ तो तुम्हें सूचित कर दूंगा ।

गुजरात में जो भयानक वर्षा हुई है, उसके बारेमें तो तुमने सब-कुछ सुना ही होगा। आश्रमको भी इससे थोड़ा-बहुत नुकसान पहुँचा है। बेचारा कान्तिलाल, जो आश्रम में हिसाब-किताब देखनेका काम करता था, डूबकर मर गया । ऐसा लगता है कि उसने आत्महत्या कर ली, लेकिन अभी मुझे पूरा ब्योरा नहीं मिल पाया है। मैं उसकी प्रतीक्षा कर रहा हूँ ।

हृदयसे तुम्हारा,

श्रीयुत कृष्णदास

मार्फत श्रीयुत सतीशचन्द्र मुकर्जी
लालबाग

दरभंगा
बिहार

अंग्रेजी (एस० एन० १४२०४) की फोटो - नकलसे ।

२४९. पत्र : शंकरको

हासन
३ अगस्त, १९२७

प्रिय शंकर,

तुम्हारा पोस्टकार्ड मिला। देखता हूँ कि तुम तो वहाँके वातावरणके अभ्यस्त हो चुके हो। यदि वहाँ बहुत ज्यादा सर्दी महसूस हो तो बदनको ठीकसे ढँककर रखना । लेकिन, वहाँकी आबोहवा बहुत सेहतमन्द है और वह तुम्हें अवश्य रास आयेगी।

मुझे समय-समयपर पत्र लिखते रहना ।

हृदयसे तुम्हारा,

श्रीयुत शंकर,

मार्फत मथुरादास त्रिकमजी
पंचगनी कैंसल

पंचगनी

अंग्रेजी (एस० एन० १४२०७ ) की माइक्रोफिल्म से ।