पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 34.pdf/३३५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२५०. पत्र : जयन्ती समारोह समितिके मन्त्रीको

हासन
३ अगस्त, १९२७

प्रिय मित्र,

आपने मुझे महाराजाकी रजत जयन्ती-समारोहके[१] लिए जो निमन्त्रण भेजा है उसके लिए मैं आपका आभारी हूँ। मैं आशा करता हूँ कि समारोह इस अवसरकी महत्ता के अनुरूप ही होगा ।

हृदयसे आपका,

मन्त्री

जयन्ती समारोह समिति

बंगलोर सिटी

अंग्रेजी (एस० एन० १४२०९) की माइक्रोफिल्मसे ।

२५१. भाषण : हासनके टाउन हॉलमें[२]

३ अगस्त, १९२७

भाइयो,

आपने मुझे मानपत्र भेंट किये हैं और एक थैली भी भेंट की है; इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ । आपके खादी-कार्यके बारेमें जानकर और आपकी खद्दर सह- कारी समितिका उद्घाटन करनेका निमन्त्रण पाकर भी मुझे बहुत खुशी हुई। आप आदि कर्नाटकों के उत्थान के लिए जो काम कर रहे हैं, उसके लिए भी मुझे आपको धन्यवाद देना चाहिए। मगर धन्यवाद देने के साथ-साथ मैं आपको यह भी याद दिला दूं कि सिर्फ स्कूल आदिकी स्थापना करके ही इस महान् कार्यको पूरी तरहसे निष्पन्न नहीं किया जा सकता । असलमें तो यह कार्य आपको अपने दिलमें करना है । आपको अस्पृश्यता सम्बन्धी विचारोंको अपने मनसे बिलकुल निकाल देना चाहिए। आपको मालूम होना चाहिए कि शास्त्रोंमें ऐसे विचारोंके लिए कोई आधार नहीं है । जब आप सबमें खादीका उपयोग करनेसे भ्रातृत्वकी भावना आ जायेगी, जब आप लोग परस्पर यह महसूस करने लगेंगे कि हम सब - हिन्दू और मुसलमान, स्त्री और पुरुष – एक हैं, जब आप सबमें एकताकी वह भावना आ जायेगी तभी हमारी

  1. ८ अगस्त १९२७ को ।
  2. जिला बोर्ड और हासन नगरपालिका द्वारा भेंट किये गये मानपत्रोंका संयुक्त रूपसे उत्तर देते हुए ।