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पत्र : डॉ० मु० अ० अन्सारीको

यह अपील सर्वश्री चिमनलाल भोगीलाल देसाई, रावजीभाई पटेल और छोटालाल कोठारीकी ओरसे की जा रही है । प्रत्येक दातासे[१] अनुरोध है कि वे दानमें दी गई राशि के साथ अपना नाम भी लिख भेजें ताकि 'यंग इंडिया' और 'नवजीवन' के पृष्ठों में उन्हें सही-सही छापा जा सके।

[ पृष्ठ ३ और ४ ]

संकट - कालमें सहायता - कार्यका संगठन करनेके लिए । इस काम के लिए जिन गुज-रातियोंकी जरूरत गुजरात में नहीं है या जिन्हें गुजरात के कामसे छुट्टी दी जा सकती है उन्हें ऐसे स्थानोंकी ओर ध्यान देना चाहिए जहाँ सहायता सबसे ज्यादा जरूरी है। गुजरातके दुःखके कारण गुजरातियोंको दूसरे प्रान्तोंकी जरूरतोंकी ओरसे आँखें बन्द नहीं कर लेनी चाहिए। वर्तमान संकटका हमें ऐसा उपयोग करना चाहिए जिससे हम आजकी अपेक्षा कम प्रान्तवादी और अधिक राष्ट्रवादी बन सकें। इस देश में रहनेवाले ईश्वरकी सृष्टिके तीस करोड़ मानव प्राणियों में से जो छोटेसे-छोटे हों और हमसे अधिक से अधिक दूरी पर रहते हों, उनके लिए भी हमारे मनमें बिलकुल अपनेपन की भावना होनी चाहिए ।

अंग्रेजी (एस० एन० १२७९७) की फोटो - नकलसे ।

२८४. पत्र : डॉ० मु० अ० अन्सारीको

कुमार पार्क,बंगलोर
१० अगस्त, १९२७

प्रिय डॉ० अन्सारी,

आपके 'विस्फोटक' वक्तव्यका मसविदा मिला। उसपर मैंने और पंडितजीने, हमारे लिए जितना सम्भव था, उतने विस्तारसे बातचीत की। उसे पढ़कर मैं चौंका होऊँ, ऐसी कोई बात नहीं है । हमारे आसपासका वातावरण ही ऐसा है जो आदमीके मनको कमजोर बनाता है और आप चाहे जो कीजिए, जो कहिए, लोगोंकी ओरसे कोई अनुकूल उत्तर नहीं मिलता। ऐसी हालत में हममें से जो बड़े से बड़ा आदमी है, वह भी क्षण भर के लिए हतबुद्धि हो जाता है। जाहिर है कि आपपर वही घुटन हावी हो गई है। इसमें आपकी कोई गलती नहीं है । और इसलिए जिस तरह ख्वाजाके अपने बड़े-बड़े वादोंसे मुकर जानेपर भी मैं यह कह सका था कि मैं अब भी तुमसे प्यार कर सकता हूँ, ठीक उसी तरह आपसे भी कह सकता हूँ, हालाँकि मानना पड़ेगा कि आपसे एक चूक हुई है। मैंने 'मानना पड़ेगा' इसलिए कहा है कि आप अब भी असहयोगमें विश्वास रखते हैं, लेकिन आपके विचारसे परिस्थितियाँ हमसे हमारे वर्तमान आचरणसे भिन्न आचरणकी अपेक्षा रखती हैं और आप इस भ्रम में

  1. पदाँ पृष्ठ २ समाप्त हो जाता है। फोटो- नकलकी जिल्द में पृष्ठ २ के बाद जो पृष्ठ ३ और ४ आये हैं वे किसी और अपीलके अंश प्रतीत होते हैं और फोटो नकलके मूल पृष्ठ ३ पर पुनः पृष्ठ संख्या ५ दे दी गई है। किन्तु उक्त दो पृष्ठ जो किसी दूसरी अपोलके हिस्से हैं इसके आगे दिये जा रहे हैं ।