पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 34.pdf/३६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३३२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पड़ गये हैं कि भिन्न आचरण करनेसे असहयोग जल्दी किया जा सकेगा । मेरा विश्वास ऐसा नहीं है । लेकिन, मैं अपना विश्वास या अविश्वास आपपर तो नहीं थोप सकता न, आपको जैसा स्वाभाविक लगे, वैसा ही कीजिए ।

लेकिन मुझे जो सुझाव देना है वह इस तरह है । उन विचारोंको आप अपने- तक ही सीमित रखें। उन्हें प्रकाशित करना आपके लिए किसी भी तरहसे जरूरी नहीं है। क्योंकि अगर मैं राजनीतिज्ञ नहीं हूँ तो आप तो और भी नहीं हैं । स्वराज्य की स्थापना हो जानेपर आप कूटनीतिक सेवामें नहीं जाना चाहेंगे, और न सैनिक सेवामें ही । कानूनके महकमेसे तो आप दूर ही रहना चाहेंगे। यदि स्वराज्य स्थापित होनेतक भी कताई घर-घरमें प्रवेश नहीं कर जाती तो जिस प्रकार में सभी बड़े और महत्त्वपूर्ण विभागोंको छोड़कर कताई विभागको ही हाथमें लेना चाहूँगा, उसी प्रकार आपको भी अगर चिकित्सा विभागका प्रधान बनाकर चिकित्साशास्त्र के क्षेत्रमें किये जानेवाले तमाम अनुसन्धानोंके लिए, चाहे वे बहुत सोच-समझकर किये जायें या जैसे भी, पूरे पैसेकी व्यवस्था कर दी जाये तो आप इसीमें खुश रहेंगे । कानून, कूटनीति, सेना और अन्य सारे विभाग हम मोतीलालजी और उनके साथियोंके जिम्मे छोड़ देंगे। हाँ, अगर पण्डितजीको लगेगा कि शौकतअली अच्छे सहयोगी होंगे तो वे भले ही उन्हें सैनिक विभाग सौंप दें।

अगर मेरा सोचना ठीक है तो मुझसे और आपसे, और विशेषकर आपसे, विधान सभा और विधान परिषद् के कार्यक्रमों, संविधान-रचना और न जाने ऐसे ही कितने विषयोंपर या अगर ज्यादा ठीक शब्दों का प्रयोग करूँ तो कहना चाहिए कि 'कितने ही बेतुके विषयोंपर' होनेवाली चर्चामें योग देनेकी अपेक्षा नहीं की जायेगी । इसलिए मेरा खयाल है कि यदि आप दुनियाको साफ-साफ यह बता दें कि इन विषयोंपर आपका अपना कोई विचार नहीं है तो आप ईश्वर अथवा भारतीय जनसमुदायके प्रति कोई अपराध नहीं करेंगे। इन विषयोंको तो विशेषज्ञों और राजनीतिज्ञोंके जिम्मे छोड़ देना चाहिए। मुझे यकीन है कि आप ऐसे किसी भ्रम में नहीं होंगे कि मैंने जो आपके चुनावके[१] लिए पहल की उसका कारण यह था कि मैं आपको बहुत विचक्षण राजनीतिक, विचारक या ऐसा कुछ मानता हूँ । देशने आपके चुनावका एक स्वरसे स्वागत किया है क्योंकि आप एक सच्चे और नेक मुसलमान हैं, आपको अपने देशसे प्रेम है, आपमें किसी तरहका पाखण्ड नहीं है, आप अपनी सीमाओंको पहचानते हैं, आप सदा बुद्धिपूर्वक सोचकर काम करते हैं। मगर इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आपको हिन्दु-मुस्लिम एकताकी सच्ची लगन है और इसके सम्बन्ध में आपके विचार ऐसे हैं जिन्हें आप अपने देशभाइयोंके सामने रखने में कोई संकोच नहीं करेंगे, बल्कि जिन्हें उनके सामने रखने के लिए आप आतुर हैं और जिन्हें कार्य रूप देने के लिए अगर संगीनोंका इस्तेमाल करना पड़े तो उनका इस्तेमाल करके भी आप उन्हें कार्य रूप देंगे । आपके चुनावसे प्रकट होता है कि हमारे चारों ओर जो पागलपन मचा हुआ है, उसके बावजूद देश आन्तरिक शान्ति के लिए व्याकुल

  1. कांग्रेसके अध्यक्ष-पदके लिए ।