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मानवोचित गुणोंका विकास करनेवाला युद्ध

कर सकेंगे तो वे देखेंगे कि लोग अपनेसे भिन्न विचारोंके प्रति कैसी आश्चर्यजनक सहिष्णुताका भाव रखते हैं और मन तथा आत्माके धरातलपर उनके बीच कैसा प्रेमपूर्ण आदान-प्रदान चलता है। प्रोफेसर साहबको मैं यह भी याद दिला दूं कि इंग्लैंड और फ्रान्सकी समृद्धि तथा ऐसी समृद्धिसे उत्पन्न सुख-सुविधा जिस चीजपर निर्भर है, यदि उसे फिर न दोहराना पड़ता तो मुझे प्रसन्नता होती तथापि मुझे दोह- राना ही पड़ेगा, वह है दूसरोंका शोषण ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ११-८-१९२७

२९४. मानवोचित गुणोंका विकास करनेवाला युद्ध

मैं यहाँ 'ब्रदरहुड' के मार्च अंकमें 'युद्ध' (वार) शीर्षकसे छपे एक लेखके निम्न अंश उद्धृत कर रहा हूँ जो काफी दिलचस्प हैं :

पिछली बार औरतों और बच्चोंको भूखा रखा गया था - और वह ऐसे ढंगसे जिसे बड़ी ही चतुराईके साथ 'आर्थिक दबाव' का नाम दे दिया गया था - लेकिन अगली बार विषैली गैसोंका प्रयोग करके उन्हें मृत्युके मुँहमें झोंक दिया जायेगा । हवाई जहाजोंसे तेज जहरकी वर्षा की जायेगी, जिससे गैर सैनिक आबादी निर्मूल हो जायेगी। एडीसनका कहना है कि बड़ी आसानीसे सिर्फ तीन ही घंटे में लन्दन की लाखोंकी आबादीका सफाया किया जा सकेगा । प्रत्येक सभ्य देशमें रसायनविद् लोग विशेष घातक विषोंकी खोजमें लगे हुए हैं । 'ट्रथ' का कहना है कि इंग्लैंडमें हमारी सरकार विषैली गैसोंकी विनाशकारी क्षमताको बढ़ानेके लिए प्रयोग करनेमें लगी हुई है, तथा इस प्रक्रियामें प्रतिदिन दो जानवरोंका हनन कर रही है। उसने एक वर्षमें ६८९ बिल्लियाँ, गिनीपिग, बकरियाँ, छोटे-बड़े किस्मके चूहे, बन्दर और खरगोश प्राप्त किये और इनमें से ६१८ को विषैली गैसोंसे मारा डाला - और वह उनमें अधिकाधिक सुधारके लिए किये जानेवाले अनुसन्धानके क्रममें ।

अगला युद्ध कितना भयंकर होगा, इसका कुछ अन्दाजा इस बातसे लगाया जा सकता है कि युद्धविरामके[१] बादसे बन्दूकोंकी मारकी दूरी दूनी हो गई है, और अब ऐसी मशीनगनें उपलब्ध हैं जिनसे एक मिनटमें १,५०० गोलियाँ चलाई जा सकती हैं। किसी स्वचालित तोपसे एक मिनटमें सवा-सवा पौण्डके १२० गोले बरसाये जा सकेंगे, और एक १६ इंचकी तोप है जो एक टनसे अधिक बजनके प्रक्षेपणास्त्रको २७ मीलकी दूरीतक फेंक सकती है। अमेरिकामें

  1. १९१८ का ।