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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

रासायनिक युद्ध-विभागने एक ऐसा तरल पदार्थ खोज निकाला है, जिसकी तीन बूंदे मनुष्यको त्वचाके किसी भी भागमें लगानेसे उसकी मृत्यु हो जाती है । एक हवाई जहाज ऐसा दो टन तरल पदार्थ लेकर उड़े तो वह मीलोंतक फैली आबादीको नष्ट कर दे सकता है। ब्रिटिश सेनाके जनरल स्विनटन कहते हैं : भविष्यमें युद्धके सबसे जबरदस्त आयुध घातक कीटाणु होंगे। हमने युद्धके बादसे ऐसे कीटाणुओंकी खोज और विकास किया है, जिन्हें यदि शहरों और सेनाओंपर गिराया जाये तो वे एक दिनमें पूरे राष्ट्रका संहार कर सकते हैं ।

यदि कभी कोई आशाके अतिरेकमें यह सोचने लगे कि यह सब सम्भव नहीं है तो उसे याद रखना चाहिए कि हमने १९२४ में शिक्षापर चार करोड़, शस्त्रास्त्रपर बारह करोड़ दस लाख और शराबपर इकत्तीस करोड़ छः लाख खर्च किया। वैज्ञानिक खोजोंका उपयोग करके लोगोंको मारनेका काम बहुत व्ययसाध्य है और मुझे बताया गया है कि जितने नाइट्रोजनके बलपर भारतको एक दुर्भिक्षसे बचाया जा सकता है, उतना फ्रान्समें हुई एक छोटी और अनिर्णा- यक लड़ाईमें बरबाद कर दिया गया था । संसारकी महान् शक्तियाँ अब भी अपने खजानेकी विपुल राशि शस्त्रास्त्रपर खर्च कर रही है, हालांकि इतिहास हमें साफ-साफ बताता है कि शस्त्रास्त्रोंकी वृद्धिसे युद्धको सम्भावना बढ़ने के अलावा और कुछ नहीं होता । शान्तिप्रिय अमेरिकाने अपनी उड्डयन-प्रणालीके विस्तार के लिए ८ करोड़ ५० लाख डालर चन्द मिनटमें मंजूर कर दिया, लेकिन शस्त्रीकरणकी इस होड़में अमेरिका द्वारा उठाये गये इस भारी कदम- पर किसीने तनिक भी ध्यान नहीं दिया। परिस्थितिकी विडम्बना तो देखिए कि जहाँ ग्रेट ब्रिटेन शस्त्रास्त्रों और सैनिक तैयारियोंपर आज १९१३ के मुकाबले लगभग दूना खर्च कर रहा है, वहाँ विजयी मित्र राष्ट्रोंने जर्मनीके शस्त्री- करणपर प्रतिबन्ध लगाकर उसे इस खर्चके भारसे मुक्त कर दिया है और इस तरह उद्योग और व्यापारमें जर्मनीके साथ होड़ करनेमें उन्होंने अपने-आप एक भारी असुविधा मोल ले ली है।

और अब लीजिए 'लैसेट' (१८ जून, १९२७ ) से उद्धृत यह अंश :

अंग्रेजी फौजके आनेके बादसे बहुत-से लोग इन्फ्लुएंजा और निमोनियाके शिकार हुए हैं, लेकिन सबसे अधिक चिन्ताका विषय है यौन रोगोंका सवाल । तमाम एहतियात बरतने के बावजूद इन रोगोंके रोगियोंकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है ।. उत्तर और दक्षिणसे झुंडकी-झुंड वेश्याएँ शंघाईमें आकर इकट्ठी हो गई हैं। इनमें से अधिकांश चीनी (६० प्रतिशत), रूसी (३० प्रतिशत) और जापानी (५ प्रतिशत) हैं। ज्यादातर वेश्यालय – फ्रान्सीसियोंके लिए अनुज्ञात क्षेत्र (फ्रेन्च कॉन्सेशन) में और नगरपालिकाकी सड़कोंके दोनों ओर बसी चीनी आबादीके बीचमें हैं। यौन रोगोंकी भारी वृद्धिसे इस कमानके अधि-