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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जनोंकी। मुझे मालूम हुआ है कि हरएक सदस्यको याददेहानीका पत्र लिखा गया है । सूत भेजने में देर करनेवाले सदस्य यह याद रखें कि ऐसे हर पत्रपर कमसे-कम आधा आना तो खर्च होता है और याददेहानी के कार्ड लिखने और उन्हें भेजने के लिए रखे गये लोगोंकी तनख्वाहोंपर जो खर्च होता है सो अलग। ऐसा कहा गया है कि कुछ सदस्य डाक खर्च बचाने के लिए कई महीनोंका चन्दा इकट्ठा हो जाने तक उसे भेजना टालते रहते हैं। डाक खर्च बचानेका खयाल रखना बहुत ठीक है । लेकिन, जो लोग डाक खर्च बचाना चाहते हैं, उन्हें अपने-अपने चन्दे अग्रिम भेज देने चाहिए । इन पृष्ठोंके हरएक पाठकके सामने यह बात बिलकुल स्पष्ट होगी कि महीने भर में १२,००० गज सूत कातना कोई भारी काम नहीं है । और अगर एक बार किस्त अग्रिम भेज देनेके बाद कातनेवाले प्रतिदिन आधे घंटेतक काता करें तो उनके पास कभी भी पीछेका कुछ बकाया नहीं रहेगा और वे चाहे अन्य कार्योंमें जितने भी व्यस्त हों, यह काम उन्हें अपने सिर बोझ जैसा कभी नहीं लगेगा। और अगर सजाका उनपर कोई असर हो सकता हो तो मैं उन्हें याद दिला दूं कि अखिल भारतीय चरखा संघके अस्तित्व के प्रथम पाँच वर्षोंके अन्तमें जब संविधानपर पुनर्विचार करने और सदस्योंको और सुविधाएँ देने का अवसर आयेगा तो चूक करनेवालोंको चूक करनेकी सजा भी निश्चय ही दी जायेगी और बड़ी चुस्तीसे दी जायेगी ।

[ अंग्रेजी से ]
यंग इंडिया, ११-८-१९२७

२९७. टिप्पणियाँ

सच्चा त्याग

अभी पिछले ही दिनोंकी बात है कि दो नौजवान मेरे पास आये और उन्होंने मेरे हाथमें १० रुपये रख दिये। यह राशि अखिल भारतीय चरखा संघके नियमानुसार उन्हें फेरी लगाकर खादी बेचनेके कमीशन के तौरपर मिली थी। उन्हें इस पैसेको खुद अपने पास रखनेका अधिकार था । लेकिन वे इसे अपने पास नहीं रखना चाहते थे । कारण यह था कि उन्हें इस दलीलकी सचाईकी प्रतीति हो गई थी कि करोड़ों लोग उनसे भी बुरी स्थिति में जी रहे हैं। वे दोनों नौजवान मुझसे यह कहकर चले गये कि वे आगे भी कमीशन की राशि इसी तरह वापस देते रहेंगे ।

इन दोनों नौजवानोंके त्यागकी प्रशंसाके तौरपर मैंने इस उदाहरणका जिक्र तो कर दिया है, लेकिन खादीकी फेरी लगानेवाले किसी भी व्यक्तिको इससे यह निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि इसी तरह कमीशन की राशि वापस कर देनेकी, दूसरे शब्दों में खादीकी फेरी लगानेवाले हरएक व्यक्तिसे बिना पारिश्रमिकके फेरी लगानेकी अपेक्षा की जाती है । में यह जानता हूँ कि हर व्यक्ति के लिए ऐसा कर सकना सम्भव नहीं है, और खादी-कार्यके लिए जितने भी ईमानदार, मेहनती और समझदार फेरी