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पत्र : हेलेन हॉसडिंगको

आशा है, कॉलेज ठीक तरहसे चल रहा होगा ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

श्रीयुत ए० बकी

कोटा डाकघर
जिला शाहाबाद

(अरा बिहार प्रदेश )

अंग्रेजी (एस० एन० १२३८७-ए) की माइक्रोफिल्मसे ।

३०१. पत्र : हेलेन हॉसडिंगको

स्थायी पता: बंगलोर
११ अगस्त, १९२७

प्यारी गौरैया,

तुम्हारा पत्र मिला । तुम्हें जो अनुवाद भेजा गया था, उसको लेकर तुम नाहक परेशान होती हो। तुममें विनोदकी इतनी भावना तो है ही कि तुम इन सब चीजोंको हलके मनसे ग्रहण कर सको। मैंने तो यह अनुवाद तुम्हें सिर्फ इसलिए भेज दिया था कि जिससे तुम जान सको कि तुम्हारे साथी मुसाफिरने तुम्हारे बारेमें क्या लिखा है । किसीकी लिखी ऐसी बेतुकी बातोंकी ओर हम ध्यान ही क्यों दें, विशेषकर तब जब ये अजनबी लोगोंकी लिखी बातें हों ? जहाँतक मेरा सवाल है, तुमने इस बात से इन्कार करते हुए जितना कहा वह पर्याप्त है। लेकिन में उसे अखबारोंको भेजनेवाला नहीं हूँ। मैं नहीं समझता कि अब किसीको उस लेखकी याद होगी ।

क्या तुम अब बिलकुल ठीक हो ? मैं अब थोड़ा-बहुत दौरा कर रहा हूँ और काफी अच्छा महसूस करता हूँ, हालांकि उतना अच्छा नहीं जितना बीमार पड़ने से पहले था । कृष्णदास संघके कामसे अभी बंगाल गया है, और वहाँ गया है तो अपने गुरुजी और माता-पितासे भी मिलता आयेगा । तुम्हारा पत्र उसे भेज रहा हूँ। मैं जानता हूँ कि इसको पढ़कर उसे बड़ा मजा आयेगा ।

मैं तुम्हारी ओरसे यह आश्वासन चाहता हूँ कि इसे लेकर तुम कभी परेशान नहीं होगी । तुम्हारे बारेमें चाहे जो भी बेतुकी और गन्दी बातें कही जायें, तुम्हें उनकी चिन्ता नहीं करनी चाहिए क्योंकि जिस असली बातकी हमें चिन्ता करनी चाहिए वह यही तो है कि हमारी अन्तरात्मा हमारे बारेमें क्या कहती है ।

सस्नेह,

हृदयसे तुम्हारा,
बापू

अंग्रेजी (एस० एन० १२५११ ) की फोटो - नकल से ।