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३०७. पत्र : वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको

स्थायी पता: बंगलोर
१२ अगस्त, १९२७

प्रिय भाई,

पता नहीं, आप अपने कार्यके बारेमें श्री एन्ड्रयूजकी राय जानना चाहेंगे या नहीं। लेकिन उन्होंने मुझे निम्नलिखित तार देनेके लिए पैसा खर्च करना ठीक समझा :

शास्त्रीकी सफलता अभूतपूर्व । गवर्नर-जनरल काफी सहायता कर रहे हैं, मन्त्री और अधिकारीगण भी।

तार आदिपर पैसा खर्च करने के मामलेमें श्री एन्ड्रयूज के विवेकपर भरोसा करना मुश्किल फिर भी मैं इस तारके लिए उन्हें कोसनेका साहस नहीं कर सकता । मैं इसका उपयोग अखबारोंके लिए नहीं करनेवाला हूँ । मुझे आपकी सफलता के बारेमें कभी कोई सन्देह रहा ही नहीं। मैं तो केवल आपके स्वास्थ्य के विषय में आश्वस्त होना चाहता हूँ ।

मैं देखता हूँ आप लोगों से कह रहे हैं कि आपके कार्यकी अवधि एक वर्षसे आगे नहीं जायेगी। यह वर्ष तो बड़ी तेजीसे बीतता जा रहा है, लेकिन जो भी हो मुझे तो आप यह आश्वासन दे ही चुके हैं कि यदि इस वर्षके बाद भी आपका वहाँ रहना अनिवार्य जान पड़ा तो आप वहाँसे भाग नहीं आयेंगे, कमीशन के कार्यके लिए भी नहीं ।

मुझे कुमारी श्लेसिनकी ओरसे एक बहुत ही सुन्दर पत्र मिला था, जिसमें से कुछ वाक्य उद्धृत करनेकी मुझे बहुत इच्छा हुई, लेकिन मैं अपनी इस इच्छाको दबा गया और मैंने उस पत्रको नष्ट कर दिया। यदि उसने अपने वादे को पूरा किया हो तब तो इस पत्रके आपके पास पहुँचने से पहले ही वह आपसे मिल चुकी होगी ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

परम माननीय वी० एस० श्रीनिवास शास्त्री

एजेन्ट जनरल
दक्षिण आफ्रिका

डर्बन

अंग्रेजी (एस० एन० १२३७०) की फोटो - नकलसे ।