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भाषण : दावनगिरिके आदि कर्नाटकों के समक्ष

हिन्दुओंके नाते हमें अपने गो-रक्षा-धर्मके पालन के लिए मुसलमानोंको इस काम में हमारे साथ सहयोग करनेके लिए बाध्य करनेपर निर्भर नहीं रहना चाहिए। हमें अपने पैरोंपर खड़े होकर, अपने बल-बूतेपर गोधनकी रक्षा कर सकना चाहिए। अगर हम अपनी गरीबीके कारण अथवा अज्ञानवश पशुओंको वध कर दिये जानेके लिए न बेचें तो यह इस दिशामें दी गई जितनी बड़ी सहायता होगी उतनी बड़ी सहायता किसीको भी किसी प्रकारसे इस काम में हमारे साथ सहयोग करनेको बाध्य करके हम नहीं कर सकते । मुसलमानोंका सहयोग प्रेमके बलपर प्राप्त करना चाहिए ।

नगरपालिका द्वारा भेंट किये गये मानपत्रके सम्बन्धमें गांधीजीने कहा कि जबतक बूढ़े-जवान, लड़के-लड़कियाँ, सबको पाखानोंको साफ रखना नहीं सिखाया जाता तबतक स्वच्छता-सफाईका कोई भी कार्यक्रम सफल नहीं हो सकता ।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, १५-८-१९२७

३१०. भाषण : दावनगिरिके आदि कर्नाटकों के समक्ष[१]

१२ अगस्त, १९२७

ये सब धन्धे बड़े अच्छे हैं और में यह कामना करता हूँ कि आप इनमें फूलें- फलें । आप अपना मशकबीन बजाकर ऐसी स्वरलहरी उत्पन्न कर सकते हैं, जो मनुष्यको ईश्वर के निकट ले जाती है । बुनाई और जूते बनानेके धन्धे जितने जरूरी आपके जीविकोपार्जन के लिए हैं उतने ही जरूरी भारत के लिए भी हैं, और मैं, आप बुनकरों और मोचियों; दोनोंसे चन्द बातें कहना चाहता हूँ। मैं बुनकरोंसे विदेशी सूत, बल्कि मिलके कते भारतीय सूतका भी उपयोग न करनेका आग्रह करता हूँ । भारतमें जबसे मिल उद्योगका विकास हुआ है तबसे हाथ करघा चलानेवाले बुनकरोंकी संख्या दिन-दिन कम होती जा रही है, और आज उनकी संख्या, कुछ वर्ष पहले जितनी थी, उससे लगभग आधी रह गई है। मिल उद्योगका उद्देश्य, सम्भव हो तो, सब तरहकी बुनाईपर एकाधिकार स्थापित करके बुनकरोंसे उनका धन्धा बिलकुल छीन लेना है । यूरोपमें उद्योगवादने ठीक ऐसा ही किया, लेकिन जहाँ यूरोपमें बेरोजगार बुनकरों और हाथ- कताई करनेवालोंको अन्य रोजगार मिल गये, वहाँ भारतके बुनकरों और हाथ - कताई करनेवालोंको कोई रोजगार नहीं मिला और इस तरह वे बिलकुल बेसहारा हो गये । इसलिए, मैं चाहता हूँ कि आप अपने धन्धेमें, विशेष रूपसे हाथ-कते सूतको बुननेमें, निपुणता प्राप्त करें, और अपने स्त्री-बच्चोंको भी कातना सिखायें जिससे कि आपकी बस्ती आत्मनिर्भर बन सके ।

  1. महादेव देसाईके " साप्ताहिक पत्र" से । अपने मानपत्र आदि कर्नाटकोंने कहा था कि उनमें से अधिकांश लोग मशकबीन बजाने, बुनने और जूते बनानेका काम करते हैं।