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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अब में मोचियोंसे दो शब्द कहूँगा । बुनकरोंके समान ही आपके लिए भी कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें आपको करना है और कुछ ऐसी हैं, जिन्हें नहीं करना चाहिए । जिस तरह बुनकरोंको विदेशी अथवा मिलके सूतको हाथ नहीं लगाना चाहिए उसी तरह मोचियोंको भी चाहिए कि वे वध किये हुए पशुओंके चमड़ेका उपयोग न करें तथा मरे हुए पशुओंके चमड़ेका ही उपयोग करें। इस चमड़ेको खुद उन्हींको साफ करना और कमाना चाहिए। यदि इस बात से आपको कुछ प्रोत्साहन मिल सके तो मैं आपको यह बता दूं कि किसी समय मैंने भी मोचीका काम किया था और आज भी कर सकता हूँ । हमारे आश्रम में भी एक चर्मशोधनालय है । यह विभाग मरे हुए पशुओंके चमड़ेकी व्यवस्था करता है, उसे शोधकर मोचियोंके हाथों बेचता है। यदि आप चाहें तो मैं वैसा चमड़ा आपको दे सकता हूँ। मैं चाहता हूँ कि आप केवल मोची बनकर अपनी जीविका ही उपार्जित न करें बल्कि गो-रक्षाका काम करके धर्मोपार्जन भी करें। हिन्दू होने के नाते हम सबको गाय से प्रेम करना चाहिए और मैं चाहता हूँ कि आप मेरे साथ गो-रक्षाके इस पुनीत कार्य में शामिल हों। लेकिन मैं आपको यह बात कैसे समझाऊँ ? हिन्दू होते हुए भी आप प्रतिदिन हिन्दू धर्मके विरुद्ध आचरण करते हैं ।

मैं चाहता हूँ, महाविभव महाराजाने अपनी जयन्तीके अवसरपर जो सन्देश दिया था, उसके मर्मको आप हृदयंगम करें। उस सन्देशका एक अंश विशेष रूपसे आप लोगों के लिए ही है। महाराजा साहबने जहाँ राज्य के नागरिकोंके बीच परस्पर भ्रातृत्वको भावनाके प्रसारकी आवश्यकता बताई, वहाँ जोर देकर उन्होंने यह भी कहा :

ईश्वरसे मेरी यही प्रार्थना है कि आपमें ऐसी ही भावना सृष्टिके मूक प्राणियोंके प्रति भी आये और हमें वह दिन देखनेको मिले जब पशुओंके साथ, विशेषकर जिन पशुओंको हम पवित्र मानते हैं उनके साथ, लोग उनकी इस मजबूरीका खयाल करके कि वे अपनी भावनाएँ व्यक्त नहीं कर सकते, उत्तरो- त्तर अधिकाधिक प्रेमपूर्ण व्यवहार करने लगें ।

इस अर्थगर्भित प्रार्थनाके मर्मको हम समझें। इसमें जो निवेदन किया गया है, अनुरोध किया गया है वह वास्तवमें मांस और गोमांस न खानेवालोंसे नहीं, बल्कि आप-जैसे लोगोंको ही ध्यान में रखकर किया गया है, जिनके मनमें गायोंके प्रति कोई भक्ति नहीं है । और यह अनुरोध जितना आप लोगोंसे है उतना ही मुसलमानों और ईसाइयोंसे भी है, और अगर महाविभवके कल्याणकारी शासन के लिए उनके प्रति आपके मनमें कृतज्ञता जैसी कोई भावना हो तो मैं चाहता हूँ कि आप गो-वघ और गोमांस भक्षणसे बाज आयें ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २५-८-१९२७