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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मुझे मालूम हुआ है कि आप महादेवके लेखोंको पहले ही प्रकाशित कर चुके हैं, लेकिन लगता है, आपने उसकी कोई प्रति यहाँ नहीं भेजी है ।

मेरा सुझाव है कि आप अपने विज्ञापनसे आश्रमको २५ प्रतिशत लाभ देने की बातको निकाल दें।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत एस० गणेशन्

१८, पिक्रोफ्ट्स रोड
ट्रिपलिकेन

मद्रास

अंग्रेजी (एस० एन० १९७९९) की माइक्रोफिल्मसे ।

३१९. पत्र : कृष्णदासको

शिमोगा
१४ अगस्त, १९२७

प्रिय कृष्णदास,

ये रहे गणेशन्‌के लिखे दो पत्र । अब तुम संशोधित पाण्डुलिपि[१] भेज सकते हो । मैं समझता हूँ, जैसा उन्होंने विज्ञापित किया था, वे महादेवके लेखोंका संग्रह प्रकाशित कर चुके हैं। हालांकि अभीतक उन्होंने उसकी प्रति यहाँ नहीं भेजी है ।

हृदयसे तुम्हारा,

श्रीयुत कृष्णदास

११०, हाजरा रोड

कलकत्ता

अंग्रेजी (एस० एन० १९८००) की माइक्रोफिल्म से ।

  1. देखिए पिछले शीर्षककी पदटिप्पणी।