पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 34.pdf/४१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३८१
पत्र : मणिलाल और सुशीला गांधीको

भी विचार हो और में तुम्हें किसी भी काममें लगाना चाहूँ । और यदि तुम्हें सेवा करनी है तो तुम मेरी आज्ञाकी राह कैसे देख सकते हो ? तुम भाई अमृतलालके दलमें ही क्यों नहीं शामिल हो जाते ? अथवा यदि वे पूरे काठियावाड़का दौरा न कर सकें तो बाकीका भाग तुम क्यों नहीं ले लेते? वल्लभभाईको योजना दिखाकर पैसा तो तुम उनसे ले ही सकते हो । अथवा हिन्द सेवक समाजसे ले सकते हो । वल्लभभाईका कर्त्तव्य जिस भागमें दूसरे न पहुँच सकते हों उसमें पहुँचनेका है। यदि सत्याग्रही अर्थात् फूलचन्दकी फौज मेरी राह देखती बैठी रहेगी तो मुझे बहुत दुःख होगा और में उन्हें सत्याग्रह करनेके अयोग्य मानूंगा । सेवा करनेके अवसरपर जो सेवा करने में चूक जाये वह सत्याग्रह और इसलिए सविनय भंग कैसे करेगा ? जेल जानेकी योग्यताके पीछे अपने द्वारा की गई सेवाका प्रमाणपत्र और आत्मशुद्धिका आधार होना चाहिए। मेरी आज्ञा और मेरा अंकुश तो मात्र सविनय अवज्ञा-रूपी सत्याग्रह करनेके लिए ही जरूरी है। सेवा-रूपी सत्याग्रह अथवा आत्मशुद्धि करनेके लिए मेरी आज्ञा जरूरी नहीं है ।

परिषद् के विषय में मुझे कुछ नहीं कहना है ।

[ गुजरातीसे ]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरी ।

सौजन्य : नारायण देसाई

३२३. पत्र : मणिलाल और सुशीला गांधीको

१४ अगस्त, १९२७

चि० मणिलाल और सुशीला,

अब भी तुम्हारे पत्र इधर-उधर चक्कर काटने के बाद पहुँचते हैं।

शास्त्रीजीकी मुलाकातका यथातथ्य पूरा वर्णन मिलना चाहिए, वह अभीतक नहीं मिला है ।

सुशीलाने समाज-सेवाके विषय में प्रश्न पूछा है । हम लोक-कल्याणके लिए शुद्ध बुद्धिसे जो भी काम करते हैं वह समाज सेवा है । अपनी गृहस्थी चलाने में यदि तुम समाजका विचार न कर केवल अपनी सुख-सुविधाका ही विचार करो तो यह स्वार्थ- सेवा हुई पर यदि अपनी गृहस्थी चलाते हुए तुम समाजके हितकी दृष्टिसे सादा जीवन व्यतीत करो, गलत उदाहरण न पेश करो, किसी भी तरहके परिग्रहमें धर्म-अधर्मका विचार करो तो वह समाज सेवा होगी। इससे भी आगे बढ़ें : तुम छापाखानेके काम में मदद करती हो; यदि ऐसा करनेमें तुम्हारा उद्देश्य पैसा बचाना हो तो यह स्वार्थ-सेवा हुई, किन्तु इस कामको सीखने में यदि तुम्हारा उद्देश्य यह हो कि जो भी पैसा बचेगा उसका उपयोग परोपकार के लिए करना है और कष्ट सहकर भी अपना पत्र चलाना है तो यह समाज सेवा होगी। इससे भी एक कदम आगे जायें: तुम्हारा पड़ोसी