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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कुछ एक नामके ही कार्यकर्त्ता हैं। सबके सब नेता ही हैं और जहाँ सब नेतृत्व ही करना चाहते हैं, वहाँ सेवा करनेके लिए, आदेशोंका पालन करनेके लिए कोई नहीं रह जाता, और थोथी स्वतन्त्रताका प्रयोग करनेके नामपर जनताकी उपेक्षा होती है। मुझे उम्मीद है कि जिन कार्यकर्त्ताओंपर ये बातें लागू होती हों वे अपने मनमें या मुझसे ऐसा नहीं कहेंगे कि दूसरे प्रान्तोंके कार्यकर्त्ता भी तो ऐसे ही हैं । यह तो एक सही बातको गलत नजरिये से देखना होगा। आखिरकार आन्ध्रके पुरुषों और स्त्रियोंको, जिनके वास्तविक सविनय अवज्ञाके क्षेत्रमें सबसे आगे निकल जानेके आसार दिखाई दे रहे थे, इतनेसे ही तो सन्तोष नहीं कर लेना चाहिए कि वे शेष लोगोंसे ज्यादा बुरे नहीं हैं। जो लोग सविनय अवज्ञा करनेके योग्य बनना चाहते हैं, उन्हें अपनी आदर्श आज्ञाकारिता, संयम और अनुशासनकी क्षमताका परिचय देना है। आन्ध्रदेश खादी और खादीसे सम्बन्धित हरएक कार्यमें बड़ी आसानी से सबसे आगे निकल सकता था, किन्तु वह अभीतक अपेक्षित ऊँचाईतक नहीं पहुँच पाया है। लेकिन, मुझे सब- कुछ इसी समय नहीं कह देना चाहिए; अपनी आगामी आन्ध्र-यात्राके लिए भी कुछ सुरक्षित रखना चाहिए, क्योंकि आन्ध्रदेशकी यात्रा करनेकी इच्छा तो मेरे मनमें हमेशा बनी रही है। चूंकि इस साल कोई उपयुक्त महीना उसके लिए निकालना सम्भव नहीं हो पाया, इसलिए विचार यह था कि उस समय जो दिसम्बरके पहले पखवाड़ेको इस काम में लगाने की बात सोची गई थी, वह अगर नहीं हो सकी तो फिर मैं अगले वर्ष आन्ध्रका दौरा करूँ। लेकिन, ईश्वरने मेरी सारी योजना उलट-पलट दी और इस वर्षके उत्तरार्द्धका सारा कार्यक्रम ही गड़बड़ हो गया है। और अगर मैं स्वस्थ बना रहा और कोई आकस्मिक बात नहीं हुई तो अगले वर्ष में कुछ दिन ही नहीं, बल्कि एक-दो महीने आन्ध्र में बिताना चाहूँगा । इसलिए मैंने कोण्डा वेंकटप्प- व्यासे कहा है कि अगर वहाँके लोग अब यह चाहते हों कि मैं आऊँ तो अगले वर्षके प्रारम्भमें ही मैं वहाँ आना चाहूँगा और वहाँ आकर कामके साथ-साथ कुछ आराम भी करना चाहूँगा । मुझसे पहलेकी तरह भाग-दौड़ करने और जल्दी-जल्दी बहुत सारे कार्यक्रम निबटानेकी आशा नहीं करनी चाहिए। कार्यकर्त्ता लोग यह भी समझ लें कि में जबतक आन्ध्रमें रहूँगा, अपना सारा समय सिर्फ खादीके ही काम में लगाऊँगा ।

बेशक, अस्पृश्यता निवारणका कार्य मेरे जीवनका अंग है। लेकिन, यह काम बहुत- कुछ खादी-कार्यमें ही आ जाता है। कारण, खादी कार्यका उद्देश्य निम्नतम श्रेणीके लोगोंको उच्चतम श्रेणीके लोगोंके स्तरपर ले जाना है । जो चीज भारतके एक मामूली-से झोंपड़ेसे शुरू होकर देशके उच्चतम वर्गके लोगोंके घरोंतक पहुँचकर दोनों वर्गोंके बीच अटूट सम्बन्ध कायम कर सकती है और उनमें परस्पर अपनत्वकी भावना भर सकती है वह रुईसे काता गया सूत ही है । मैं जानता हूँ कि आन्ध्रके कार्यकर्त्ताओं- की बड़ी-बड़ी आकांक्षाएँ हैं । उस हालत में अगर वे ऐसा कुछ करें जिससे इन आकांक्षाओंका स्पर्श समाजके निम्नतम वर्गतक भी पहुँच पाये तो सब कुछ ठीक हुआ ही समझिए ।