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रानीपरज जाँच-समिति
एक शुभ निश्चय

मैसूरके होललकेरे कस्बे से एक भाई लिखते हैं :[१]

इस महत्त्वपूर्ण निश्चयके लिए लम्बानी समाजको बधाई देते हुए मैं यह आशा व्यक्त करता हूँ कि वे उन लोगों जैसा आचरण नहीं करेंगे जो १९२१ वाले उत्साहके ठंडा पड़ते ही फिर पहलेवाली स्थिति में पहुँच गये। मैं समाजके अगुओंका ध्यान इन पृष्ठों में छपे[२] रानीपरज लोगोंके दृष्टान्तकी ओर आकर्षित करता हूँ । मद्यपानका त्याग करनेवाले इन लोगोंमें से जिन्होंने अपना समय और मन लगाये रखनेके साधनके रूपमें चरखेको अपना लिया था, उनके मनमें फिर शराबके लिए तो कोई ललक नहीं ही उठी, साथ ही उनकी बचत भी दूनी हो गई; कारण, अब न केवल शराबपर खर्च होनेवाला पैसा बचने लगा, बल्कि कपड़ेपर होनेवाले खर्चमें बचत करके भी वे अपनी आय बढ़ाने लगे । मद्य-निषेधके लिए काम करनेवाले सुधारकोंने सर्वत्र यही पाया है कि जो लोग मद्यपान न करनेकी प्रतिज्ञा करते हैं, वे अगर अपना समय किसी उपयोगी काममें नहीं लगाते तो उन्हें फिर शराब पीनेकी इच्छा होने लगती है और वह इतनी बलवती हो उठती है कि उसे रोका ही नहीं जा सकता। मुझे उम्मीद है कि दूसरे गाँव भी होललकेरेके उदाहरणका अनुकरण करेंगे, और जब में अपना मैसूरका दौरा शुरू करूँगा तब मैं वहाँ, मुझसे खादीकी जैसी शानदार प्रगतिका दर्शन कराने का वादा किया गया है, वैसी प्रगतिका दर्शन करने के साथ-साथ यह भी देखूंगा कि मद्यपानकी कुटेवको दूर करनेके लिए भी खूब काम हुआ है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १६-६-१९९२७}}

४.रानीपरज जाँच-समिति

अभी हाल में रानीपरज परिषद्में[३] जो समिति नियुक्त की गई थी उसका काम शुरू करने में श्रीयुत वल्लभभाई पटेलने कोई देर नहीं की । समितिके दूसरे दौरेकी अन्तरिम रिपोर्टके निम्नलिखित अंश पाठकोंको रुचिकर होंगे :

समितिने अठारह गाँवोंका दौरा किया और बंसडा राज्यके चीखली तथा बलसाड़ ताल्लुकोंके संतालीस गाँवोंसे आये लोगोंके बयान दर्ज किये। बंसडाके महाराजा साहब अपनी प्रजाके कल्याणमें जो रुचि ले रहे हैं, समिति उसका शानदार विवरण

  1. इसका अनुवाद यहाँ नहीं दिया जा रहा है। पत्र लेखकने गांधीजीको यह सूचित करते हुए कि लम्बानी जातिके लोगोंने मद्यपान त्यागनेका निश्चय कर लिया है और डेढ़ महीने से उन्होंने दारू-ताड़ी कुछ नहीं छुई, लिखा था कि "यह एक ऐसा उदाहरण है जिससे प्रकट होता है कि इस राज्य में आपके आनेसे पहले ही आपका आत्मशुद्धिका आन्दोलन यहाँ प्रवेश पा चुका है। "
  2. देखिए यंग इंडिया, २६-५-१९२७।
  3. १६ मार्च, १९२७ को आयोजित; देखिए खण्ड ३३ । ४. इनका अनुवाद यहीं नहीं दिया जा रहा है।