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३२७. पत्र : मणिबहन पटेलको

मौनवार, १९२७[१]

चि० मणि,

तुम्हारा कार्ड मिल गया था। जो पत्र तुम लिखनेवाली थीं वह नहीं मिला । मातरमें किस काम में लग गई हो और कौन-कौन है, लिखना । कोई भी सेवा करते हुए शान्ति मत खोना।

काकाको[२] मैंने लिखा था कि जब आप अपनी कुर्सीपर बैठकर तकली चलायेंगे तब मणिबन आयेगी । उसके उत्तरमें वे लिखते हैं कि मणिबहन तो पागल है । मैंने लिखा है कि वह पागल है, इसीलिए पागल के साथ रहती है।

यशोदाके[३] लड़केका नाम क्या रखा है ?

बापूके आशीर्वाद

चि० मणिबहन पटेल
मातर

[ गुजरातीसे ]

बापुना पत्रो - ४ : मणिबहेन पटेलने

३२८. पत्र : मणिबहन पटेलको

मौनवार, १९२७

चि० मणि, तुम्हारा पत्र मिल गया। गाँवोंका अनुभव लिखकर रखना चाहिए जिससे भविष्य में काम आये। कहीं भी अधीरता न दिखाई जाये। निराश न होना । अशान्त न होना। मुझे तो तुमसे बहुत से प्रश्न पूछने होंगे। परन्तु वे अभी नहीं । मिलेंगे तब या काम हो जानेपर । मुझे नियमपूर्वक पत्र लिखती रहना । तबीयत हरगिज न बिगड़ने देना।

३४-२५

  1. इसकी और अगले पत्रको सही तिथियाँ शांत नहीं हैं। लेकिन मणिवहन पटेलके “ मातरमें काममें लग जाने" और यशोदाके पुत्र ( जिसका जन्म २७ मई, १९२७ को हुआ था) के उल्लेख से और अगले पत्र में विट्ठलभाई पटेलके “खूब काम करनेकी उम्मीदमें" वहाँ जानेके उल्लेखसे ऐसा लगता है कि ये पत्र उन्हीं दिनों लिखे गये होंगे जब गुजरातमें बाद आई थी। इसलिए इन्हें मौनवारके अन्तर्गत " गुजरात में बाद", ११-८-१९२७ के बाद रखा जा रहा है।
  2. विठ्ठलभाई झवेरभाई पटेल; मणिबहन पटेलके चाचा और सरदार पटेल के भाई; उन दिनों ये केन्द्रीय विधान सभाके अध्यक्ष थे ।
  3. डाह्याभाई पटेलकी पत्नी ।