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३३४. पिछड़े वर्ग

हमारी मुसीबतें अनेक हैं। हमारे यहाँ दलित वर्ग हैं, पिछड़े वर्ग हैं। इन दोनोंमें अन्तर यह है कि दलित वर्गोंमें प्रायः तथाकथित अस्पृश्य लोग ही सम्मिलित हैं, जबकि पिछड़े वर्गोंसे उन वर्गीका संकेत मिलता है जो मानसिक और नैतिक दृष्टिसे अन्य वर्गोंसे पिछड़े हुए हैं। इनमें से एक ऐसे वर्गका परिचय मुझे मैसूर में मिला है। इस वर्गके लोग लम्बानी कहे जाते हैं । बेलगाँव कांग्रेस के[१] बादसे इन लोगों में से एक व्यक्ति, जिसने किसी हदतक अच्छी शिक्षा पाई है, इन लोगोंके उत्थानका प्रयत्न कर रहा है । पिछले साल इनका एक सम्मेलन भी हुआ था और उसके खर्चके लिए कुछ थोड़ा-सा पैसा राज्यने भी दिया था । ऐसा लगता है कि ये लोग मूलतः गुजरात के हैं । इन्हें लोग बंजारेके नामसे भी जानते हैं । इनकी बोली गुजरातीसे मिलती-जुलती है । हासन जाते हुए जब मैं आरसीकेरेसे गुजर रहा था, तब उन्होंने मुझे देवनागरीमें लिखा एक मानपत्र[२] दिया था। इसमें अधिकांश शब्द गुजरातीके थे। इस मानपत्रकी थोड़ीसी बानगी 'नवजीवन' में दी गई थी । उसका अध्ययन करनेकी इच्छा रखनेवाले जिज्ञासु लोग उसे वहाँ देख सकते हैं । वे देखेंगे कि मानपत्रकी भाषाका व्याकरण गुजराती है । सम्मेलन के अध्यक्षके अभिभाषण में इन लोगोंके रीति-रिवाजका वर्णन निम्न प्रकार किया गया है :

मुझे बताया गया है कि लम्बानी लोग बंजारियोंके नामसे भी प्रसिद्ध हैं और जब भारतमें अच्छी सड़कें और रेलमार्ग नहीं थे तब ये लोग इधरसे उधर अन्न ले जानेका काम करते थे। ये लोग आजतक अपनी रानी दुर्गाकी पूजा करते हैं । रानी दुर्गा एक धनी लम्बानी महिला थी, जो तेरहवीं शताब्दी में हुई थी। उन दिनों भारतमें १२ सालतक लगातार अकाल पड़ा था। रानी दुर्गाने इस अकालमें नेपाल, चीन और बर्मासे अन्न लाकर बहुत-से लोगोंकी प्राण-रक्षा की थी । लम्बानी लोगोंका मुख्य देवता बालाजी और देवी तुलजा भवानी है। उनका मुख्य त्योहार गोकुलाष्टमी है, जिस दिन श्रीकृष्णका जन्म हुआ था । ये लोग दीर्घकाल तक गो और ब्राह्मणोंका आदर करते रहे और आजकल भी अपने श्राद्धमें मांस और शराबका प्रयोग नहीं करते। वे विवाहितों- को उनके मर जानेपर जलाते हैं और अविवाहितोंको गाड़ते हैं। वे प्रायः हट्टे-कट्टे और कद-काठीसे बहुत अच्छे और स्वभावसे शान्तिप्रिय तथा शिष्ट हुआ करते थे ।

किन्तु खेद है कि जबसे सड़कें और रेलमार्ग बने हैं तबसे उनका व्यापार प्रायः बन्द हो गया है । इनमें से कुछ लोग पशुओंका व्यापार करते हैं, कुछ

  1. १९२४ की कांग्रेस ।
  2. देखिए " भाषण : आरसीकेरे जंकशनपर लम्बानियों के समक्ष ", २-८-१९२७ ।