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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

किसानोंके रूपमें बस गये हैं, कुछ गाड़ियाँ हाँकते हैं, कुछ सुतली कातते हैं और घास और ईंधन बेचते एवं मजदूरी करते हैं। इनमें से कुछ लोगोंपर पुलिसकी निगरानी रहती है और कुछ डाके डालने, पशुओंकी चोरी करने, स्त्रियों और बच्चोंको चुराने, जाली सिक्के बनाने और गैर-कानूनी शराब तैयार करनेके लिए कुख्यात हैं । किन्तु इन अपराधी लोगोंको सुधारा जा सकता है और इन्हें सुधारना चाहिए।

मुझे मालूम हुआ है कि जो कार्यकर्त्ता इन लोगोंके बीच काम करते हैं, वे इनके बुरे रिवाजोंको छुड़वानेके लिए प्रचार कर रहे हैं । अन्य पिछड़े वर्गोंकी स्त्रियोंकी तरह लम्बानी जातिकी स्त्रियाँ भी बिल्कुल सस्ते और कलाहीन भोंडे गहनोंसे लदी रहती हैं। रानीपरज लोगोंकी तरह इन लोगों में सुधारका काम चरखेके प्रचारके साथ-साथ चल रहा है । इन लोगोंने मुझे अपने हाथका कता जो सूत भेंट किया था, वह काफी अच्छा और बारीक था । अकेले मैसूर राज्य में लगभग ४५,७४० लम्बानी रहते हैं और कर्नाटकके अंग्रेजी राज्यवाले इलाके में भी इस जाति के बहुत-से लोग बसे हुए हैं। इन लोगोंके बीच बहुत-से सुधारकोंके लिए काम करनेकी गुंजाइश है ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १८-८-१९२७

३३५. पत्र : एन० आर० मलकानीको

भद्रावती
१८ अगस्त, १९२७

प्रिय मलकानी,

मैं समझता हूँ, मेरे पत्र[१] तुम्हें मिल गये होंगे। मैं तुम्हारा जवाब पाना चाहूँगा ।

हृदयसे तुम्हारा,
बापू

जवाबके लिए पता :

मार्फत श्रीयुत एस० श्रीनिवास अय्यंगार
अमजद बाग
लज, मइलापुर

मद्रास

अंग्रेजी (जी० एन० ८७९ ) की फोटो नकलसे ।

  1. ९ और २४ जुलाईके ।