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पत्र : टी० डब्ल्यू ० कलानीको

मैं समझता हूँ कि इस टाइपशुदा प्रतिके अतिरिक्त अन्य कोई प्रति आपके पास नहीं है, इसलिए मैं इसे लोटा रहा हूँ ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० १२६३३ ) की माइक्रोफिल्म से ।

३४०. पत्र : टी० डब्ल्यू ० कलानीको

स्थायी पता : बंगलोर
१९ अगस्त, १९२७

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला । आपको उपन्यास पढ़ना तो बिलकुल बन्द कर देना चाहिए और रामनामका जाप करना चाहिए। 'भगवद्गीता' पढ़िए और बने तो मूल रूप में पढ़िए । प्रतिदिन ठण्डे पानीसे स्नान कीजिए । खुली हवामें सोइए। आपको रातमें जल्दी बिस्तरपर जाना चाहिए और ४ बजे सुबह ही उठ जाना चाहिए, तथा ईश्वरसे यह प्रार्थना करनी चाहिए कि वह आपको सभी बुरे विचारोंको अपने मनसे दूर रखने की शक्ति दे। जब स्खलन हो तो उसकी चिन्ता न कीजिए। जब भी स्खलन हो, आप उसका कारण जानने की कोशिश कीजिए और दोबारा उस कारणको उपस्थित न होने दीजिए। आप अपने पिताको अपने इस रोगके बारेमें बता दीजिए और उनसे कह दीजिए कि जबतक इस तरह स्खलन होना बन्द नहीं हो जाता और आप अपने विचारोंपर काबू नहीं पा लेते तबतक आपका लन्दन जाना बिलकुल बेकार होगा ।

मेरी सलाह है कि अपनी अंग्रेजी दुरुस्त करने की बात सोचने से पहले आप हिन्दी और संस्कृतका अध्ययन शुरू कीजिए और जब इन दोनोंपर अधिकार प्राप्त कर लें तब भले ही आप आगे अंग्रेजीका अध्ययन करें ।

हृदयसे आपका,

टी० डब्ल्यू० कलानी

ओल्ड सक्खर

(सिन्ध )

अंग्रेजी (एस० एन० १९७७५) की माइक्रोफिल्म से ।