पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 34.pdf/४५७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

३५९. पत्र : कमला दासगुप्तको

कुमार पार्क, बंगलोर
२३ अगस्त, १९२७

प्रिय बहन,

आपका पत्र मिला। मैं जानता हूँ अब बहुत-सी लड़कियोंका झुकाव सादगीकी ओर हो रहा है। परन्तु मुझे ऐसा लगा कि आश्रमका जीवन शायद कुछ अधिक सादगीका समझा जा सकता है। में अपना आशय स्पष्ट कर दूं। मैं बेसलीका या फूहड़ रहन-सहनको सादगीसे रहना कतई नहीं समझता; और यह बिलकुल जरूरी नहीं कि सादगीसे रहनेवाले व्यक्ति में सुरुचि न हो। मैंने तो यह पाया है कि सबसे सादी चीजें ही ज्यादासे-ज्यादा स्वच्छ होती हैं और सादगीसे पैदा होनेवाली यह स्वच्छता सारी मानवताको सुलभ हो सकती है, जबकि कृत्रिम ढंगसे पैदा की गई सुरुचि तो चन्द पैसेवाले लोगोंकी ही चीज हो सकती है ।

यदि आश्रम में जानेकी आपकी इच्छा सचमुच गहरी है और उसके लिए सच्चे मनसे प्रयत्नशील रहते हुए भी आपके अन्दर विनम्रता है तो आप अवश्य ही अपने माता-पिताके विरोधपर विजय पा लेंगी। और जबतक आप अपने माता-पिताको अनुमति देनेपर राजी नहीं कर पाती तबतक आप मानसिक रूपसे आश्रमके जीवन में रमी रह सकती हैं।

आप ऐसा क्यों कहती हैं कि भारतीय लड़कियाँ अपना जीवन सादा और पवित्र बना ही नहीं सकतीं? आप लाखों निर्धन लड़कियोंकी ओर तो देखें, वे उपयुक्त वर पानेके लिए भी सुन्दर वेष-भूषा धारण नहीं कर पातीं; और यह बात भी सही नहीं है कि भारत में सभी लड़कियोंके लिए विवाह करना अनिवार्य है। हाँ, यह सच है कि उनकी विशाल संख्या विवाहकी इच्छुक रहती है, और हम जिस वर्गके हैं उस मध्यवित्तीय समाज में तो यही समझनेका चलन है कि लड़कियाँ तो जन्म ही विवाहके लिए लेती हैं। पर में अब कई ऐसी लड़कियोंको भी जानता हूँ जो अविवाहित रहनेका प्रयत्न कर रही हैं। उनके माता-पिता भी इसमें उनको सहयोग दे रहे हैं। लेकिन संघर्ष कठिन तो है ही।

आपने यह निष्कर्ष कैसे निकाल लिया कि में आत्म-कथा लिखना बन्द करने जा रहा हूँ ? लिखना जारी है।

मैं २९ तारीखतक बंगलोरमें हूँ। उसके बाद मेरा पता रहेगा : मार्फत श्रीयुत श्रीनिवास अय्यंगार, अमजद बाग, लुज, मइलापुर, मद्रास ।

मैं चाहता हूँ कि आप सोदपुर खादी-प्रतिष्ठान के श्रीयुत सतीशचन्द्र दासगुप्त और उनकी पत्नी श्रीमती हेमप्रभादेवीसे मिल लें। वे दोनों आश्रम के बारेमें जानते हैं । वे आश्रम में कुछ दिन रहें भी हैं। वे आपको आश्रम के बारेमें सब कुछ बतला देंगे ।