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३६५. तार: मोतीलाल नेहरूकों[१]

[२४ अगस्त, १९२७

पण्डित मोत्तीलाल नेहरू
इलाहाबाद

आपका तार मिला । अन्सारी का वक्‍तव्य दुर्भाग्यपूर्ण । मेसूरके देहातम होनेसे समाचारपत्र नहीं देख पाया। अन्सारोके अपने आप अलग हो जानेसे स्थिति आसान अवद्य होगी। तय नहीं कर पा रहा हूँ कि में वक्‍तव्य[२]“पत्र: डॉ० मु० अ० अन्सारीकों?”',जारी करू या नहीं। कल सुबह बंगलोर लौटूँगा।

गांधी

अंग्रेजी (एस० एन० १२८७३) की फ़ोटो-नकलूसे ।

'३६६- भाषण:कृष्णगिरिसें[३]

२४ अगस्त, १९२७

सभापति महोंदय और मित्रो,

आपने मुझे मानपत्र और दो थैलियाँ भेंट की हें। इनके लिए में आपको घन्यवाद देता हूँ। आपने मुझसे स्वर्गीय देशबन्धु चित्तरंजन दासके चित्रका अनावरण करनेकों कहकर मेरा सम्मान किया है। इसके लिए आपको घन्यवाद देते हुए में बड़ी प्रसन्नताके साथ चित्रकों अनावृत करता हूँ। आशा है, देशबन्धुका जीवन और कार्य हम सबको प्रेरणा देता रहेगा। उनके बारेमें कहा जा सकता है कि उन्होंने अपने देशके लिए अपना जीवन उत्सर्ग किया और वे देशके लिए ही जिये और मरे। यह सभा ऐसी नहीं है जिसमें में विस्तारसे अपनी बातें कहूँ। यहाँ काफी हल्ला-गुल्ला है और ऐसे में आपको भाषण सुनतेको मजबूर करता आपपर ज्यादती करना होगा। यहाँ मुझे अपने चारों ओर बहुत सारे मुस्कुराते चेहरे दिखाई पड़ रहे हैं, इससे मेरी सेहतकों बड़ा लाभ होता है और मनमें बड़ी खुशी होती है। लेकिन

जब में उन चेहरोंके बारेमें सोचता हूँ जिन्हें में और आप शायद कभी देख भी नहीं-नहीं पायेंगे, उत्त चेहरोंके बारेम जितम मुस्कुरानंकी भी क्षमता नहीं है, तब मेरा दिल अंदर-ही-अन्दर बेठने लगता है; और जब हम सोचते हें कि मुस्कराहटसे

  1. उनके २३ अगस्तके तारके उत्तरमें; देखिए परिशिष्ट २।
  2. देखिए २६-2८-१९२७।
  3. यूनियन बोर्ड, नागरिकों और सहकारी समिति द्वारा भेंट किये गये मानपत्रोंके उत्तरमें।