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३९०. इसे भी विवाह कहेंगे?

हालकी बीमारीके प्रारम्भिक दिनोंमें में पत्रोंके जवाब नहीं दे पाता था। उन दिनों मुझे जो पत्र मिले थे, उनमें से एकका कुछ अंश में नीचे दे रहा हूँ। पत्र-लेखकने तो पूरा ब्यौरा दिया है, लेकिन मैंने छापते समय नाम निकाल दिये हैं।

इस बारकी सहालगमें कारवारके सदाशिवगाड नामक स्थानमें एक हृदय- विदारक विवाह सम्पन्न हुआ है। वधूकी अवस्था बारह वर्ष है और वह गोआके एक अत्यन्त निर्धन परिवारकी है। वरकी अवस्था साठ वर्ष है। उसकी पहली पत्नीकी मृत्यु लगभग तीन वर्ष पहले हुई थी, जिससे हुए आठ या नौ बच्चों- में से दो जीवित हैं। वरने एक अंग्रेजी पाठशालाकी संस्थापना की है। गत वर्ष भी उसने एक कच्ची उम्रको वधू लानेकी कोशिश की थी, परन्तु उसके समाजमें विरोध खड़ा हो जानेसे वह सौदा नहीं हो पाया। इस वर्ष उसने वधूके माता-पिताको दो सौ रुपये देने का वादा करके अपनी इच्छा पूरी कर ली। इस मामले क्या किया जाना चाहिए यहाँके...[१] जैसे समाज-सुधारक भी इस अमानवीय कृत्यके विरुद्ध हल्का-सा भी प्रतिरोध नहीं करते।

ने पत्रका जो अंश दिया है, उसे संक्षिप्त करके दिया है। इसमें कही गई बातोंकी सचाईपर सन्देह करनेका कोई कारण नहीं दिखाई पड़ता । काश, ऐसा कह सकता कि यह कोई विरल उदाहरण ही है। लेकिन इस प्रकारके इतने उदाहरण सामने आते रहते हैं कि इनका कोई कड़ा इलाज करना जरूरी हो गया है। एक इलाज तो निस्सन्देह यह है कि ऐसे हर मामलेको प्रकाशित करके उसका पर्दाफाश किया जाये और नारीत्वके प्रति ऐसे अपराधोंकी पुनरावृत्तिके विरुद्ध एक स्वस्थ और प्रबल लोकमत तैयार किया जाये। लेकिन, सबसे कारगर उपाय तो निःसन्देह यही होगा कि जहाँ भी ऐसे अनैतिक विवाहकी आशंका हो, वहाँ उसके खिलाफ आन्दोलन किया जाये। पत्र-लेखक के कथनानुसार आठ बच्चोंके इस बूढ़े बापकी पहली कोशिश ठीक ऐन वक्तपर आन्दोलन करके नाकाम कर दी गई। आश्चर्य की बात है कि इस बार भी वैसा आन्दोलन क्यों नहीं हुआ। वहाँके बहुत से लोगोंको निश्चय ही इस बातका पता होगा कि एक बूढ़ा विधुर एक कच्ची उम्रकी लड़कीसे शादी करनेकी फिक्रम है। तब फिर उस बालिकाको दुःख और यन्त्रणाके जीवन से बचाने के लिए तुरन्त कोई आन्दोलन क्यों नहीं किया गया ? परन्तु मेरी रायमें तो अब भी समय है। स्थानीय लोकमतको सक्रिय बनाकर अब भी उस बाल-वधूकी सहायता की जा सकती है। पत्र लेखकके पत्रसे लगता है कि यह विधुर किसी समय समाज-सेवाके कार्योंमें दिलचस्पी लेता था । क्या उसको इस बात के लिए राजी नहीं किया जा सकता कि वह बालिकाको अपने पास न रखकर सेवा-सदन या ऐसी ही किसी दूसरी

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  1. साधन सूत्रके अनुसार।