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३९७. पत्र : एस० जी० वझेको

वेल्लूर
१ सितम्बर, १९२७

प्रिय वझे,

विचित्र बात है कि 'सवेंट्स ऑफ इंडिया' की प्रतिके साथ आपका पत्र मुझे ठीक उसी दिन मिला जिस दिन मैंने आपका वह हस्ताक्षरित लेख पढ़ा जिसमें आप मेरी भी चर्चा ले आये हैं। उसकी कतरन मुझे एन्ड्रयूजने दी थी। उस कतरनको पढ़कर मैंने आपको यह लिखनेकी बात सोची थी कि आप जब भी किसी समस्याके बारेमें मुझसे लिखाना चाहें तो आपको मुझे वैसा लिख देना चाहिए। मैं चाहता तो बहुत हूँ, पर मुझे सचमुच रोज कुछ मिनटोंके लिए किसी स्थानीय समाचारपत्रको देखने के अलावा अन्य किसी पत्र या पुस्तकको पढ़नेका बिलकुल समय नहीं मिल पाता । हालकी घटनाओंकी मुझे जो थोड़ी जानकारी रहती है वह इसलिए कि मित्र लोग उनके बारेमें मेरे साथ पत्र-व्यवहार करते रहते हैं। अब में आपके पत्रका विषय लेता हूँ।

आपका पत्र आने से पहले मैंने एन्ड्रयूजके साथ पूर्व आफ्रिकी और कुछ अन्य समस्याओं के बारेमें बात की थी। उसमें बड़ी सावधानीकी जरूरत है। पूर्व आफ्रिकाके बारेमें मैं उतने ही अधिकारपूर्वक राय देने योग्य अपनेको नहीं समझता जितने अधिकारके साथ में दक्षिण आफ्रिकाके बारेमें कह सकता हूँ। मेरा खयाल है कि पूर्व आफ्रिकी समस्याके बारेमें भी अपने विचार लिखनेका जो काम मुझे सौंपा गया था वह इसलिए नहीं कि मुझे वहाँकी स्थानीय परिस्थिति और सभी समस्याओंकी बहुत अच्छी जानकारी थी, बल्कि इसलिए कि एक लम्बे अर्सेतक दक्षिण आफ्रिकी समस्याका काफी गम्भीरतासे अध्ययन करनेके कारण मेरे अन्दर, जैसा कि मुझे लगता है, सही निर्णयपर पहुँचनेकी क्षमता आ गई है। मेरी अपनी राय यह है कि हमारा पूर्व आफ्रिकाके विधानमण्डल में अपना कोई प्रतिनिधि न भेजना ही ज्यादा अच्छा रहेगा। हम उसमें अपने जो भी प्रतिनिधि भेजेंगे उनपर यूरोपीय प्रतिनिधि हावी रहेंगे और वे उसी देशमें जन्मे लोगोंके उचित अधिकारोंका हनन करनेके लिए उनका इस्तेमाल करेंगे। इसीलिए मैं जातिके आधारपर प्रतिनिधित्व स्वीकार करनेके पक्षम नहीं हूँ। यदि मेरा बस चले तो मैं वहाँ बसे भारतीयोंका मताधिकार उन्हीं शर्तोंपर कायम रखूँ जो यूरोपीयोंको मिले हुए हैं। परन्तु यह तभी हो सकता है जब यूरोपीय लोग शैक्षणिक योग्यताकी बात मान लें, जो वे नहीं मानेंगे, क्योंकि वे उपनिवेशों में हमेशा "एक व्यक्ति पीछे एक मत " का सिद्धान्त ही लागू करना चाहते हैं। मैं जिस बात के लिए प्रयत्नशील हूँ और जिसके लिए मैं मृत्युपर्यन्त संघर्ष करता रहूँगा वह है वहाँ जाकर बसनेका हमारा अधिकार और दक्षिण आफ्रिका तथा रोडेशियासे भिन्न भू-सम्पत्तिके स्वामी बननेके हमारे अप्रतिबन्धित अधिकार।दक्षिण