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१५. पत्र : कान्ति गांधीको

बंगलोर
ज्येष्ठ बदी २ [१७ जून,१९२७]

चि० कान्ति,

तुम्हारा पत्र मिला । चि० हरिलालके पास जानेके लिए तुम मेरी अनुमति चाहते हो । पुत्रको पितासे मिलनेके लिए पितामह की अनुमति नहीं मांगनी पड़ती । पुत्रकी इस इच्छाको कोई रोक ही नहीं सकता। और अब तुम सयाने हो गये हो इसलिए भी मेरे अनुमति देनेका प्रश्न नहीं उठता।

मैं तुम्हें इतना ही बता सकता हूँ कि तुम्हारा उत्तरदायित्व क्या है । और उस दृष्टिसे चि० हरिलालसे मिलने के बारेमें मेरी सलाह इस प्रकार है । मैं ऐसा मानता हूँ कि उसने इस समय उलटा रास्ता पकड़ा है । वह व्यभिचारी है और व्यसनी बन गया है । वह अपने धर्मको भूल गया है इसलिए पिताके रूपमें अपने अधिकारोंका उपयोग करने लायक नहीं रह गया है । में उसे एक प्रकारका रोगी मानता हूँ । उसका रोग शारीरिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक है और यह आध्यात्मिक रोग शारीरिक रोगको अपेक्षा कहीं भयानक है । अतः उसे प्रोत्साहित करनेके विचारसे उसके पास जाना तुम्हारा धर्म नहीं बल्कि उसका त्याग करना ही तुम्हारा धर्म है। तुम्हें, मुझे तथा उसके मित्रों-हितेच्छुओंको उससे धार्मिक असहयोग करना चाहिए । यदि तुमने उसे सुधारने की दृष्टिसे उससे मिलनेका विचार किया हो तब तो मैं तुम्हारे इस विचारको समर्थन-योग्य मानूँगा और उस अवस्थामें मैं तुम्हें हर प्रकारकी सुविधा भी देना चाहूँगा । किन्तु फिलहाल तो ऐसा लगता है कि तुमने उस पत्रके कारण ही उससे मिलने का विचार किया है। इसलिए मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारे वहाँ जानेका मतलब होगा - वह जिस रास्तेपर चल रहा है उसीपर चलने के लिए उसे प्रोत्साहित करना । और यदि तुम उसे सुधारनेके विचारसे जाना चाहते हो तो इस सम्बन्धमें लौकिक दृष्टिसे तुममें अभी उतनी योग्यता और प्रौढ़ता नहीं आई है। इस लिहाज से अभी तुम्हें बालक ही माना जायेगा । अभी तो तुम्हारी लिखाई-पढ़ाई चल रही है। में चाहता हूँ और यही कोशिश भी कर रहा हूँ कि तुम विद्याभ्यास करते हुए अपनी आत्माका इतना विकास कर लो कि हरिलालके लिए में जो नहीं कर सका वह करने की शक्ति तुममें आ जाये तथा उसपर तुम्हारा ऐसा प्रभाव पड़े कि वह तुम्हें देखते ही अपने दुर्गुणोंको छोड़ दे। में तो तुम दोनों भाइयोंको इसी प्रकार तैयार कर रहा हूँ। जैसा कि मैंने ऊपर बताया यदि तुममें शक्ति होगी तो तुम ऐसी शिक्षा प्राप्त कर सकोगे । इसलिए मेरी सलाह तो यह है कि तुम्हें हरिलालको साफ-साफ लिख देना चाहिए कि जबतक वह व्यभिचार और व्यसनोंको नहीं छोड़ देता और तुम सबका पालन-पोषण करने योग्य