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१६. पत्र : सतीशचन्द्र दासगुप्तको

कुमार पार्क,बंगलोर
१८ जून,१९२७

प्रिय सतीश बाबू,

आपका पत्र मिला। अगर आप यात्राका श्रम बरदाश्त कर सकें तो यहाँकी आबो- हवा तो आपके लिए बहुत माकूल रहेगी, क्योंकि इन दिनों यहाँकी आबोहवा सचमुच बड़ी अच्छी होती है। लेकिन, अगर लगे कि यात्रामें परेशानी होगी और इसमें जोखिम है तो आनेकी जरूरत नहीं है। तभी आयें जब डाक्टर आनेकी सलाह दे ।

अब सब कुछ सोदपुर ले जाया जा रहा है, यह जानकर खुशी हुई। लड़कों- को बखूबी वर्धा जाने दें। लेकिन अगर वे साबरमती में ज्यादा प्रसन्न रहेंगे - और सम्भावना ऐसी ही है कि वहाँ वे शायद ज्यादा प्रसन्न रहेंगे - तो अहमदाबादकी दूरी, उनके साबरमती आने में बाधक न बनने दी जाये। कुछ बातोंमें साबरमती में जो सुविधाएँ हैं, वे वर्धा में नहीं हैं - खासकर जब जमनालालजी वर्धामें न हों; और अभी कुछ दिन वे वहाँ नहीं ही होंगे।

आप सबको स्नेह-वन्दन ।

आपका,
बापू

श्रीयुत सतीशचन्द्र दासगुप्त

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अंग्रेजी (जी० एन० १५७४ ) की फोटो - नकलसे ।