पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 34.pdf/५९

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१७. पत्र : मनोरमादेवीको

कुमार पार्क,बंगलोर
१८ जून,१९२७

प्रिय बहन,

आपका दुःखभरा पत्र मिला । स्पष्ट है कि इसे आपने खुद नहीं लिखा है । आप थोड़ी-बहुत अंग्रेजी तो जानती ही हैं, सो आप जो कुछ चाहें अपनी ही अंग्रेजी में लिख सकती हैं । और बँगला में लिखें तब तो और भी अच्छा। मैं खुद बँगला नहीं समझता लेकिन यहाँ मेरे साथ कुछ बंगाली सहायक स्थायी तौरपर रहते हैं । यह भी लिख भेजिए कि आपकी उम्र क्या है, अपने माता-पिताके बारेमें आप क्या करना चाहती हैं ? क्या आपने उनसे अलग होनेके लिए उनकी अनुमति ले ली है ? क्या आपका स्वास्थ्य अच्छा है ? अगर आपको आश्रम आनेकी इजाजत मिल जाये तो क्या आप अकेली यात्रा करेंगी ? क्या आप श्रीयुत गोपबन्धु दासको जानती है ? अगर जानती हों तो आप उनसे मिलिए और मुझे पत्र लिखनेके लिए कहिए। और अगर आप उन्हें न जानती हों तो भी उनसे मिल जरूर लीजिए ? उड़ीसा में वे काफी जाने-माने व्यक्ति हैं । वे कांग्रेस कमेटीके अध्यक्ष थे और किसी समय विधान परिषद्के सदस्य भी थे । वे कटक अथवा पुरी में मिलेंगे । आपके जिन मित्रने आपके बदले पत्र लिखा है, वे कौन हैं? मैं आपकी मदद करना चाहूँगा । लेकिन, जाने बिना में मदद कैसे कर सकूंगा ? यह जरूरी है कि ऊपर का सारा ब्योरा मुझे मिल जाये ।

हृदयसे आपका,

श्रीमती मनोरमादेवी

चण्डीशाही

कटक (उड़ीसा)

अंग्रेजी (एस० एन० १२५७८) की फोटो- नकलसे ।

१८. पत्र : फीरोजा पी० एस० तलयारखाँको

कुमार पार्क,बंगलोर
१८ जून,१९२७

आपकी पर्ची तो रात ही यहाँ पहुँच गई थी, लेकिन मुझे अभी-अभी दी गई है । यह जानकर दुःख हुआ कि आपकी तबीयत खराब हो गई थी। मैं यही तो सोच रहा था कि आप इरादेके मुताबिक आईं क्यों नहीं। बेशक, आप जब भी आयें, आपसे मिलकर मुझे खुशी होगी और कृपया साथमें श्रीमती बनर्जीको भी अवश्य लायें । आप मिलने का समय तो जानती हैं और आशा है, जब आप आयेंगी उस समय अगर