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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

वर्तमान युग और वर्तमान स्थितिमें खादीके सम्बन्धमें करना चाहिए। आजकल तुम वहाँ क्या कर रहे हो और किस प्रकार अपना कामकाज चला रहे हो ?

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (जी० एन० ३७६३) की फोटो- नकलसे ।

२८. पत्र : मणिलाल और सुशीला गांधीको

बंगलोर
ज्येष्ठ बदी ५[२० जून,१९२७]

चि० मणिलाल और सुशीला,

तुम्हारे पत्र मुझे नियमित रूपसे मिलते रहते हैं, जिससे मुझे बहुत प्रसन्नता होती है । इस नियमितताका कारण मेरे द्वारा बम्बईमें व्यक्त किया गया दुःख है या सुशीला-रूपी नई झाड़ू, इसका हल तो तुम्ही दोनों खोज सकते हो। यदि इसका कारण दुःख हो तो उसे हमेशा याद रखना और यदि नई झाड़ू उसका कारण हो तो उसे कभी जीर्ण मत होने देना ।'

मेरा पत्र एक सप्ताह पिछड़ गया है किन्तु भविष्यमें में और भी सावधान रहूँगा । तुम्हारा नियमित रूपसे लिखते रहना मुझे सावधान रखेगा। जब बुजुर्ग लोग वृद्ध हो जायें तो युवक उन्हें सावधान रख सकते हैं । यह तो तुम जानते हो न कि यदि मछन्दरकी अपेक्षा गोरख तेजस्वी न होते तो मछन्दरका पतन हो जाता । यदि तुम इस बारेमें न जानते हो तो लिखना ताकि में अगले पत्रमें तुम्हें समझा सकूं और इस प्रकार मुझे भी लिखनेके लिए एक अच्छा विषय मिल जायेगा ।

यह जानकर मुझे बहुत सन्तोष हुआ कि सुशीलाका वजन बढ़ा है। क्या उसके कानका बहरापन कुछ कम हुआ ? सुशीलाने कम्पोजिंग सीखना शुरू कर दिया है, यह भी अच्छी बात है । वह प्रेस चलाने योग्य बन सकती है। १७-१८ वर्षकी लड़कीके लिए कोई नई चीज सीखने में समय ही कितना लगता है घरेलू काम-काजका झंझट बहुत अधिक नहीं बढ़ना चाहिए। इसके लिए पहले जिस प्रकार खाने-पीने में सादगी बरतते थे यदि वैसे ही बरतते रहो तो काफी समय बच जायेगा । खाना एक ही समय बने और सो भी इतना सादा कि उसमें जुटे न रहना पड़े । मणिलाल यह सम्पूर्ण कला जानता है बशर्ते कि वह उसे भूल न गया हो। स्त्रियोंको सिर्फ रसोई बनाने के लिए ही नहीं सिरजा गया है। और जिस हदतक रसोई बनाना आवश्यक है उस हद- तक उसमें [ पति-पत्नी] दोनोंको हाथ बँटाना चाहिए। और यदि दोनों सेवावृत्तिसे हाथ बँटायें तो वे आसानीसे समयको बचत करनेवाले अनेक नुस्खे खोज सकते हैं।

यह सब कुछ जो में लिखता रहता हूँ उसमें से जितना तुम पचा सको उतना ही करना और बाकी छोड़ देना ।