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पत्र: लाजपतरायको

में और भी बहुत-सी बातें बता सकता हूँ, लेकिन उनके लिए सरकार द्वारा कानून बनानेकी जरूरत है और इसलिए वे आपके क्षेत्र और वशसे बाहरकी हैं।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत देवेन्द्रनाथ मित्र

गवर्नमेंट एग्रिकल्चरल फार्म

फरीदपुर (पूर्वी बंगाल)

अंग्रेजी (एस० एन० १२९१७) की माइक्रोफिल्मसे ।

३३. पत्र: लाजपतरायको

कुमार पार्क,बंगलोर

२१ जून,१९२७

प्रिय लालाजी,

पता नहीं, यह पत्र आपको मिलेगा या नहीं । न्यासके बारेमें तो मैंने सिर्फ, जैसा मुझे लगा, वैसा आपको लिख भेजा ।[१] मैं जानता हूँ कि इस सम्बन्धमें आप जो उचित है वही करेंगे। इसलिए मुझे कोई स्पष्टीकरण देनेकी तो जरूरत ही नहीं है ।

मुझे उम्मीद है कि आपके स्वास्थ्य में उत्तरोत्तर सुधार हो रहा होगा, और आप अपने आसपास होनेवाली घटनाओंकी चिन्ता किये बिना पूरा विश्राम कर रहे होंगे। में तो चाहूँगा कि आप भी वैसा ही करें जैसा कि युद्धके दौरान एस्क्विथ- ने किया था। जब उन्होंने देखा कि उनका स्वास्थ्य बहुत ज्यादा बिगड़ता जा रहा है। तब वे पन्द्रह दिनोंके लिए भूमध्यसागरकी सैरको निकल गये और उन्होंने दुनियासे अपने सारे सम्पर्क तोड़ लिये । हम ऐसी किसी सरका आनन्द ले सकनेकी स्थिति में भले ही न हों, लेकिन अपने आसपासके वातावरणसे असम्पृक्त रहकर अपने-आपमें तो खो जा सकते हैं।

हृदयसे आपका,

लाला लाजपतराय

नेशनल लिबरल क्लब

व्हाइटहॉल प्लेस

लन्दन एस० डब्ल्यू ० १

अंग्रेजी (एस० एन० १४१६६) की फोटो- नकलसे ।

  1. देखिए खण्ड ३३ " पत्र : लाजपतरायको", १-५-१९२७