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पत्र : वालजी गो० देसाईको

बासन्तीदेवीका क्या हाल है ? वे, मोना और बेबी मुझे टाल रही हैं ।[१] उनसे कहिएगा कि किसी दिन में भी उनसे बदला लूंगा । कमसे कम इस महीने के अन्ततक मैं यहीं हूँ ।

हृदयसे आपका,

डा० विधानचन्द्र राय

३६, वैलिंगटन स्ट्रीट

कलकत्ता

अंग्रेजी (एस० एन० १४१६८) की फोटो नकलसे ।

३६. पत्र : वालजी गो० देसाईको

कुमार पार्क,बंगलोर

ज्येष्ठ वदी ७ [२१ जून, १९२७][२]

भाईश्री वालजी, अभी-अभी स्वामीका तार आया है कि जिस समय आप अपनी मातुश्रीके साथ घूम रहे थे, उसी बीच उनका देहान्त हो गया। ऐसी पवित्र मृत्युके लिए मैं तो बधाई ही दूँगा । ऐसी मृत्यु तो हम सबको माँगनी चाहिए। इस देहसे जब वे हमारे बीचमें थीं तब उनकी उपस्थिति हमें बल प्रदान करती थी और यदि उसके जाने से हमें दुःख होता है तो हमारा यह दुःख स्वार्थपूर्ण ही कहा जायेगा ।

मोहनदासके वन्देमातरम

गुजराती (सी० डब्ल्यू० ७३९२) से ।

सौजन्य : वालजीभाई देसाई

  1. अभिप्राय पत्र न लिखनेसे है।
  2. इस तारीखको गांधीजी बंगलोर में थे ।